Last Updated: Wednesday, June 6, 2012, 20:08
लंदन : शीषर्क पढकर चौंकिए मत। दरअसल करीब एक लाख साल पहले बैक्टीरिया जनित भीषण महामारी में भी मानव जाति विलुप्त होने से अगर बच सकी तो इसकी वजह थी हमारे पूर्वजों की इन बीमारियों से निपटने की क्षमता।
कैलिफोर्निया के सैन डियागो में अजीत वारकी की अगुवाई वाली वैज्ञानिकों की एक टीम ने नए आनुवंशिक साक्ष्यों के आधार पर कहा है कि अफ्रीका में मानव आबादी के बीच एक रहस्यमय प्लेग फैला जिसकी वजह से इंसानों की संख्या 10,000 तक सिमट गई।
न्यूसाइंसिस्ट डॉट काम के मुताबिक, बैक्टीरिया ने दो प्रतिरक्षा जीनों को अपने कब्जे में कर लिया था और इसलिए इस बीमारी से निपटने का एक ही रास्ता था कि उस जीन से छुटकारा पाया जा सके ।
महामारी में जो बच गए , उन्होंने एक बार फिर पूरी दुनिया में मानव जाति का प्रसार किया ।
अपने अध्ययन में वारकी और उनके सहयोगियों ने दो जीन-सिगलेक13 और सिगलेक 17 जीन का अध्ययन किया। ये दोनों जीन प्रतिरक्षा तंत्र को नियंत्रण करने में जिम्मेदार होते हैं और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को इसके लिए आगे भेजने का भी यही फैसला लेते हैं।
उन्होंने पाया कि ये दोनों जीन चिम्पांजी में सक्रिय हैं लेकिन मानवों में नहीं पाया जाता है। सिगलेक 13 मानव जीनोम से पूरी तरह खत्म हो गया जबकि सिगलेक17 ने काम करना बंद कर दिया। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 6, 2012, 20:08