फूल को इच्छानुसार खिलाने की कोशिश

फूल को इच्छानुसार खिलाने की कोशिश

भागलपुर : अब तक आपने ऋतुओं के अनुसार फूलों को खिलते और मुरझाते देखा होगा, परंतु भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आपकी इच्छा पर फूल खिलाने की ठान ली है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने देश-विदेश के 10 फूलों का चयन किया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि सर्वाधिक फूल उत्पादक देश हालैंड और इजरायल के फूल का व्यापार करने वाले लोग केवल वेलेंटाइन-डे के दिन फूलों का अपनी इच्छा के अनुसार खिला कर लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं तो यह बिहार में भी हो सकता है। वे कहते हैं कि दुधारू पशुओं की तरह फूलों की क्षमता के अनुसार उन्हें खिलाया जा सकता है। बस इसके लिए उनके पौधों को जिंदा रखने की आवश्यकता है।

फूलों के विभेदों के अनुसार उनसे फूल प्राप्त किए जा सकते हैं। जरबेरा और कारनेशन जैसे विदेशी फूलों के एक बार लगा देने के बाद कई वर्षो तक इनसे फूल प्राप्त किए जा सकते हैं, परंतु गुलाब के फूल के पौधे के प्लांटेशन के बाद 45वां दिन फूल प्राप्त किया जा सकता है। गुलदाउदी के फूलों की कली पर एक खास तरह के स्प्रे कर पौधे की क्षमता के अनुसार फूल प्राप्त किए जा सकते हैं।

भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति मेवालाल चौधरी ने बताया कि बिहार के किसी भी क्षेत्र में फूलों के लिए अच्छी जलवायु और मिट्टी है। केवल किसानों को फूलों की खेती के लिए आकर्षित करने की जरूरत है। वे कहते हैं कि कृषि विष्वविद्यालय का सपना है कि यहां के कृषक के चेहरे भी फूलों की तरह खिले।

वहीं, विश्वविद्यालय के एक फूल वैज्ञानिक रंधीर कुमार का मानना है कि गुलाब, गुलदउदी, ऑर्किड, जरबेरा जैसे कई फूलों के विभिन्न प्रभेदों और रंगों पर विश्वविद्यालय में सफलतापूर्वक परीक्षण किए जा रहे हैं। वे कहते हैं कि कोई भी किसान विश्वविद्यालय की जमीन पर भी फूलों की खेती के गुर सीख सकता है। रंधीर कहते हैं कि गुलाब की बेंडिंग करने के 45 दिन के बाद फूल लिए जा सकते हैं जबकि अगर फूल की बिक्री कम होने की संभावना हो तो उस पौधे को स्ट्रारब (खाद-पानी देना कम) कर देंगे। ऐसे में वे पौधे जिंदा तो रहेंगे परंतु फूल नहीं देंगे। और जैसे ही फूल लेना होगा उसे फिर बेंडिंग कर देंगे और 45 दिन के बाद फूल देने लगेंगे।

राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी भी कहते हैं कि आज राज्य के कई हिस्सों में औषधीय पौधों और फूलों की खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि केवल पटना जिले के दस गांवों का चयन फूल की खेती के लिए किया गया है। कृषि विश्वविद्यालय इन सभी गांवों के किसानों को तकनीकी मदद दे रहा है। इन गांवों को `फूल ग्राम` के रूप में विकसित करने की योजना है। अधिकारी कहते हैं कि कृषि विश्वविद्यालय की ओर से फूल उत्पादकों को किसान समूह बनाने की सलाह दी गई है, जिस पर पहल किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक केवल पटना में प्रतिमाह चार करोड़ रुपये का फूल का व्यापार होता है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, January 16, 2013, 12:25

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