बहरेपन के जीन की वैज्ञानिकों ने की पहचान

बहरेपन के जीन की वैज्ञानिकों ने की पहचान


वाशिंगटन : वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने बहरेपन और सुनने में कमी के लिए जिम्मेदार जीन की खोज की है। इससे इस बीमारी के उपचार के नए द्वार खुल गए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी :यूसी: और सिनसिनाटी चिल्ड्रेन्स हॉस्पीटल मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने एक नए अनुवांशिक परिवर्तन का पता लगाया है जो कि बहरेपन और सुनने में कमी के लिए जिम्मेदार है, इसका संबंध उशर सिंड्रोम टाइप-1 से है।

उशर सिंड्रोम एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसके कारण बहरापन, रतौंधी और रेटिना के क्षय के कारण दृष्टिबाधिता उत्पन्न होती है। इस अध्ययन के मुख्य जांचकर्ता और नेत्र विज्ञान के सहायक प्रोफेसर जुबैर अहमद ने कहा कि इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उशर सिंड्रोम टाइप 1 में बहरापन पैदा करने वाले जीन का पता लगाया है। इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान और तुर्की से 57 लोगों का अनवांशिक परीक्षण किया।

अहमद ने कहा कि सीआईबी2 नाम के प्रोटीन का संबंध ही उशर सिंड्रोम टाइप 1 और अन्य बीमारियों से है यह कोशिकाओं के अंदर कैल्शियम को बांधने का कार्य करता है। उन्होंने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान में सुनने की कमी जैसी बीमारी के लिए सामान्यत: सीआईबी2 में परिवर्तन ही इसके लिए जिम्मेदार है। हालांकि हमने इस प्रोटीन के एक अलग तरह का परिवर्तन भी देखा है जिसके कारण तुर्की के लोगों में बहरेपन की समस्या देखी गई है। (एजेंसी)

First Published: Monday, October 1, 2012, 15:38

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