Last Updated: Sunday, November 20, 2011, 09:05
नई दिल्ली : ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके अस्तित्व पर बना रहस्य वैज्ञानिकों के लिए आज भी पहेली बना हुआ है, हालांकि यूरोपीय परमाणु शोध संगठन ‘सर्न’ इस पहेली को सुलझाने के लिए ‘लीड आयन’ की टक्कर से जुड़ा प्रयोग कर रहा है।
सर्न के परियोजना संयोजक लुसियो रोजे ने कहा कि लार्ज हाइड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) में प्रति सेकेंड लाखों तत्वों की टक्कर होती है। यह प्रक्रिया इतनी दुर्लभ है कि इससे प्राप्त होने वाली किरण नई खोजों का मार्ग प्रशस्त करती है।
उन्होंने बताया कि एनएचसी ने लीड आयन के दूसरे चरण की टक्कर प्रक्रिया शुरू की है जो सात दिसंबर को समाप्त होगी। यह प्रयोग पिछले वर्ष भी किया गया था। इन आयनों की टक्कर के बाद भौतिकी वैज्ञानिक इसकी पड़ताल करेंगे जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अस्तित्व पर कुछ प्रकाश डालेगा।
सर्न के वैज्ञानिक क्वार्क ग्लूआन प्लाज्मा तत्व के बारे में पता लगा रहे हैं और इस पहेली का अध्ययन कर रहे है कि आज का ब्रह्मांड कैसे बना। वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़े रहस्य लम्बे समय से कौतुहल के विषय रहे हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में लम्बे समय से अनुसंधान और प्रयोग किए जाते रहे हैं। वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग ‘बिग बैंग’ के सिद्धांत को रहस्य के समाधन के करीब पाता है। ऐसा माना जाता है कि 11 से 15 अरब वर्ष पहले ब्रह्मांड का कोई स्वरूप नहीं था और वह एक क्षेत्र में सिमटा हुआ था। इस समय पदार्थ, उर्जा, अंतरिक्ष और समय का वजूद नहीं था। इसी समय ब्रह्मांड अचानक फैलना शुरू हुआ और इसका विस्तार अविश्वसनीय रूप से तीव्र गति से हुआ और पदार्थ, उर्जा, समय, अंतरिक्ष वजूद में आए। टक्कर से जुड़ी इस घटना को ‘बिग बैंग’ का नाम दिया गया।
‘बिग बैंग’ के सिद्धांत की जांच के लिए कई प्रयोग किए गए। मसलन, यह कहा गया कि अगर बिग बैंग की घटना हुई होगी, तब ब्रह्मांड से जुड़ी सभी वस्तुओं को एक दूसरे से दूर जाना चाहिए। इस विषय पर साल 1929 में एडबिन हब्बल ने स्पष्ट किया कि हमारे ब्रह्मांड में आकाश गंगाएं एक दूसरे से दूर जा रही हैं।
साल 1960 में बिगबैंग के विषय में कहा गया कि अगर यह घटना हुई होगी तब टक्कर के कारण काफी मात्रा में उर्जा निकली होगी। 1989 में कास्मिक बैकग्राउंडर एक्सप्लोरर उपग्रह ने ‘कास्मिक रेडियेशन’ का पता लगाया।
हालांकि, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और इसके अस्तित्व से जुड़ी पहेली सटीक रूप से नहीं सुलझायी जा सकी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 20, 2011, 14:35