भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-10 का सफल प्रक्षेपण

भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-10 का सफल प्रक्षेपण

भारत के  अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-10 का सफल प्रक्षेपणबेंगलूर : भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-10 को आज तड़के फ्रेंच गुयाना से यूरोपीय उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट एरियन-5 के जरिये अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया।

जीसैट-10 करीब 15 साल तक काम करेगा और यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है, जिसका वजन 3,400 किलोग्राम है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 9इसरो) ने बनाया है, जिसका मुख्यालय बेंगलूर में है। यह इसरो का 101वां अंतरिक्ष मिशन था। इसके नवंबर में काम शुरू कर देने की उम्मीद है। इससे दूरसंचार, ‘डायरेक्ट टू होम’ और रेडियो नेविगेशन सेवाओं में और वृद्धि होगी।

एरियनस्पेस के भारी उपग्रह प्रक्षेपित करने में सक्षम रॉकेट एरियन-5 ईसीए दक्षिण अमेरिका में फ्रेंच गुयाना स्थित लांच पैड से जीसैट-10 को लेकर रात दो बजकर 48 मिनट पर रवाना हुआ और करीब 30 मिनट बाद यह प्रक्षेपित हो गया। इसके पहले उसने अपने साथ ले जा गए यूरोपीय उपग्रह एएसटीआरए 2एफ को उसकी कक्षा में छोड़ा। जीसैट-10 में 30 ट्रांसपोंडर (12केयू-बैंड, 12सी- बैंड और छह विस्तारित सी-बैंड) लगे हैं । इससे देश में ट्रांसपोंडरों की संख्या काफी बढ़ जायेगी।

इस उपग्रह में नेविगेशन उपकरण-गगन-लगाया गया है, जो बेहतर जीपीएस संकेत मुहैया करायेगा जिसका इस्तेमाल भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण असैन्य विमानन जरूरतों को पूरा करने के लिये करेगा । उल्लेखनीय है कि गगन उपकरण के साथ इंसैट-जीसैट समूह का यह दूसरा उपग्रह है। इससे पहले मई 2011 में जीसैट-8 प्रक्षेपित किया गया था ।

इससे पहले जीसैट-10 को 22 सितंबर को प्रक्षेपित किए जाने का कार्यक्रम था लेकिन वैज्ञानिकों ने रॉकेट के उपरी हिस्से में एक ग्राम धूल के कण पाने के बाद इसे स्थगित कर दिया था।

जीसैट-10 परियोजना निदेशक टी के अनुराधा, अंतरिक्ष विभाग के अतिरिक्त सचिव एस श्रीनिवासन और इसरो के उपग्रह केंद्र के निदेशक एस के शिवकुमार आदि प्रमुख अधिकारी प्रक्षेपण के समय फ्रेंच गुयाना में मौजूद थे। इस प्रक्षेपण का दूरदर्शन से सीधा प्रसारण किया गया।

शिवकुमार ने बताया कि जीसैट-10 भारत में ‘संचार क्रांति में’ एक प्रेरक का काम करेगा। इसरो में मौजूद सूत्रों ने बताया कि प्रक्षेपण के समय संगठन के अध्यक्ष के राधाकृष्णनन अंतरिक्ष एजेंसी के कर्नाटक के हासन स्थित ‘मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी’ में मौजूद थे। उन्होंने प्रक्षेपण के कुछ मिनट बाद बताया, एमसीएफ ने पहले ही इस बेहद भारी उपग्रह के नियंत्रण को संभाल लिया है।

राधाकृष्णन ने कहा, नवंबर 2012 तक हम जीसैट-10 का संचालन करने और इस्तेमाल के लिये उपलब्ध कराने की अपेक्षा कर रहे हैं। इसरो ने कहा कि जीसैट-10 परियोजना पर 750 करोड़ का खर्चा आया है जिसमें उपग्रह की लागत, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेस की प्रक्षेपण सेवा और बीमा का खर्च शामिल है।

एरियनस्पेस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्यां यवेस ली गाल ने प्रक्षेपण स्थल पर कहा कि इसरो उनका महत्वपूर्ण ग्राहक है और करीब 30 साल पहले जून 1981 में एप्पल उपग्रह प्रक्षेपित करने के साथ ही इस रिश्ते की शुरूआत हुई थी। (एजेंसी)

First Published: Saturday, September 29, 2012, 09:55

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