Last Updated: Sunday, May 5, 2013, 10:52

इंदौर : सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की ‘त्रिमूर्ति’ 10 मई को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों को वलयाकार सूर्यग्रहण का रोमांचक दृश्य दिखायेगी। लेकिन यह बात भारत के खगोल प्रेमियों को निराश कर सकती है कि इस नजारे को देश में नहीं निहारा जा सकेगा। उज्जैन की प्रतिष्ठित जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्रप्रकाश गुप्त ने भारतीय संदर्भ में की गयी कालगणना के हवाले से आज ‘भाषा’ को बताया कि वलयाकार सूर्यग्रहण की शुरूआत 10 मई को तड़के चार बजकर दो मिनट पर होगी।
उन्होंने बताया कि सुबह पांच बजकर 55 मिनट पर वलयाकार सूर्यग्रहण अपनी चरम स्थिति में पहुंच जायेगा, जब सूर्य का 95.6 प्रतिशत हिस्सा चंद्रमा की छाया से ढक जायेगा। इस वक्त सूर्य किसी चमकदार छल्ले या कंगन की तरह दिखायी देगा। यह स्थिति पांच मिनट 57 सेकंड तक रहेगी। करीब दो सदी पुरानी वेधशाला के अधीक्षक के मुताबिक सुबह सात बजकर 47 मिनट पर वलयाकार सूर्यग्रहण समाप्त हो जायेगा। उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर भारत की स्थिति के कारण वलयाकार सूर्यग्रहण का नजारा देश में नहीं देखा जा सकेगा।
गुप्त ने बताया कि वलयाकार सूर्यग्रहण भारत में इसलिये नहीं दिखायी देगा, क्यांेकि इस खगोलीय घटना के दौरान चंद्रमा की छाया वाला हिस्सा देश में अदृश्य होगा। उन्होंने बताया कि वलयाकार सूर्यग्रहण को दुनिया के जिन हिस्सों में देखा जा सकेगा, उनमें दक्षिणी यूरोप, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका और अटलांटिक महासागर शामिल हैं। वलयाकार सूर्यग्रहण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा सीधी रेखा में होते हैं। इस खगोलीय घटना के वक्त सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा कुछ इस तरह आ जाता है कि पृथ्वी से निहारने पर सौरमंडल का मुखिया किसी चमकदार छल्ले या कंगन की तरह दिखायी देता है। इस दौरान सूर्य की किरणें चंद्रमा की छाया के चारों ओर से निकलती दिखाई देती हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 5, 2013, 10:52