भाषाओं के संरक्षण में इंटरनेट मददगार - Zee News हिंदी

भाषाओं के संरक्षण में इंटरनेट मददगार



लंदन : दुनियाभर की कई भाषाओं के विलुप्तप्राय होने की कगार पर पहुंचने के बीच भाषाविदों का मानना है कि सोशल मीडिया वेबसाइटें फेसबुक, ट्विटर और इंटरनेट भारत की संकटग्रस्त भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने में मदद कर सकती हैं।

 

विश्व की सात हजार भाषाओं में से 3500 भाषायें इस सदी के अंत तक आम बोलचाल से विलुप्त हो जायेंगी । अब एक दल ने दुनिया की हजारों प्राचीन भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिये आठ ‘बोलने वाली डिक्शनरियों’ का अनावरण किया है।

 

‘हो’ मुंडा भाषा है जो एस्ट्रोएशियाटिक भाषा परिवार की सदस्य है । इसे भारत में 3,803,126 लोग बोलते हैं । यह देवनागरी में लिखी जाती है और इसकी लिपि वारंग कशिटि है । इसे हो लोग बोलते हैं । इसकी लिपि की स्थापना और विकास पंडित डाक्टर लाको बोद्रा ने किया था।

 

‘द टेलीग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक डिजिटल डिक्शनरी में 32 हजार लिखित शब्द है और 24 हजार आडियो रिकार्डिंग हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 19, 2012, 14:45

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