भूकंप से ‘द्वीप’ उभरने को वैज्ञानिकों ने बताया भूगर्भीय बदलाव

भूकंप से ‘द्वीप’ उभरने को वैज्ञानिकों ने बताया भूगर्भीय बदलाव

भूकंप से ‘द्वीप’ उभरने को वैज्ञानिकों ने बताया भूगर्भीय बदलावनई दिल्ली : पाकिस्तान में मंगलवार को आए शक्तिशाली भूकंप के कारण ग्वादर इलाके के पास समुद्री क्षेत्र में ‘छोटा द्वीप’ उभरने को यूरेशियन प्लेट एवं हिमालयी क्षेत्र में भूगर्भीय हलचल की दृष्टि से महत्वपूर्ण घटना करार देते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह घटना आने वाले समय में ऐसे भूगर्भीय बदलाव का संकेत देती है।

जाने माने वैज्ञानिक प्रो. यशपाल ने कहा कि यह बहुत बड़ी भूगर्भीय अस्तव्यस्तता है। यह टेक्टोनिक प्लेटों की बड़ी हलचल है जो पिछले कुछ वर्षों से इस क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। भूकंप के बाद समुद्र में द्वीप का निर्माण दिलचस्प भूगर्भीय घटना है जो इस क्षेत्र में शोध के नए आयाम खोलता है।

उन्होंने कहा कि पृथ्वी के नीचे प्लेटों की हलचल चलती रहती है और और जब दो प्लेट एक दूसरे से टकराते हैं तब पृथ्वी की आकृति में कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं। अरब सागर में ऐसे ही प्लेटों के टकराव के कारण द्वीप का निर्माण हुआ। भू वैज्ञानिक अरुण बापट ने कहा कि यूरोशिया प्लेट में बिखराब की गतिविधि काफी समय से चल रही है, पाकिस्तान यूरेशियन प्लेट पर स्थित है और इसके इर्द गिर्द इंडियन, अरेबियन और अफ्रीकन प्लेट है।

उन्होंने कहा कि इंडियन और अफ्रीकन प्लेट में काफी हलचल हो रही है और बिखराब की स्थिति बन रही है। इन्हीं प्लेट में हलचल के कारण ‘द्वीप’ का निर्माण हुआ होगा। यह भूगर्भीय हलचल के क्षेत्र में अहम बदलाव का संकेत दे रही है और शोध का विषय हो सकता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में कल आए शक्तिशाली भूकंप के कारण ग्वादर के निकट समुद्री क्षेत्र में करीब 40 फुट का एक छोटा ‘द्वीप’ तैयार हो गया। 7.7 तीव्रता के भूकंप से दो सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए थे।

बापट ने कहा कि इससे पहले भी भूकंप के कारण पृथ्वी के आकार में बदलाव की घटना सामने आई है। 2004 में इंडोनेशिया में आये भूकंप के कारण ऐसा दृश्य देखने को मिला जबकि फरवरी 2010 में चिली में आए जबरदस्‍त भूंकप के कारण जमीन आठ फुट ऊपर उठ गया था। इसी तरह से मार्च 2011 में जापान में आए सुनामी के कारण जापान का एक द्वीप कुछ फुट आगे खिसक गया था। ‘बाबरनामा’ में अफगानिस्तान और भारत में आए जबर्दस्त भूकंप का जिक्र मिलता है। इसमें कहा गया है कि छह जुलाई 1505 को आगरा में जबर्दस्त भूंकप आया था और कारण इतनी बड़ी तबाही हुई थी जिसका उल्लेख पहले नहीं मिलता है।

इसी दौरान अफगानिस्तान में भयंकर भूकंप आया था, जिसके कारण काबुल में कई किले ध्वस्त हो गए थे और काफी जनहानि हुई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिकांश भूकंप अपभ्रंशों के दौरान आते हैं जो इन प्लेटों की हलचल के कारण हुई टूट फूट के पृथ्वी की गहराई तक पहुंचने के कारण उत्पन्न होते हैं। कुछ समय पहले साउथ हैम्पशायर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने चेतावनी दी थी कि पृथ्वी के भीतर प्लेटों में हलचल के कारण पाकिस्तान, भारत में भूकंप का खतरा है।

भूकंप के संबंध में हिमालयी क्षेत्र और पूर्वोत्तर का विशेष महत्व है और इस दिशा में 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत जीवाश्व अध्ययन का कार्यक्रम बनाया गया है। हिमालयी क्षेत्र में जीवाश्म भूकंप विज्ञान के तहत अध्ययन का मुख्य जोर विगत में प्लेटों के उथल पुथल और इससे जुड़े फॉल्टों, भूंकपीय स्रोत क्षेत्र होगा जिसके माध्यम से भूकंप के आकार और इसके कारण आने वाली विकृतियों का अनुमान लगाया जाएगा। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 25, 2013, 14:46

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