भूख और भूखमरी का होगा समूल नाश - Zee News हिंदी

भूख और भूखमरी का होगा समूल नाश


वाशिंगटन : वैज्ञानिकों ने पादपों में एक महत्वपूर्ण आनुवंशिक गीयर (लक्षण) की पहचान की है जो उनकी जैविक घड़ी को गतिशील रखता है. इसे एक ऐसी खोज माना जा रहा है जिससे पादपों में कुछ बदलाव लाकर उन्हें भिन्न मौसमों और स्थानों पर उगाया जा सकेगा. इससे वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन बढ़ सकता है और भूख व भूखमरी का समूल नाश संभव होगा.

जल्दी ही इस खोज को व्यवहार में लाने के बाद दुनिया से ख्राद्यान्न संकट जैसी समस्या का हमेशा के लिए अंत हो जाएगा. दरअसल करीब-करीब सभी जीवों में एक जैविक घड़ी होती है जो दिन और रात के साथ जैविक क्रियाओं के समन्यव में मदद करती है. पादपों में यह घड़ी वृद्धि को दोनों समय और दिन या सीजन के लिए समायोजित करने में महत्वपूर्ण है. यह घड़ी प्रात: जीवन और सांध्य जीन से संबद्ध हैं. प्रात: जीन के प्रोटीन दिन निकलने पर सांध्य जीन पर हावी हो जाते हैं और संध्या होने पर इसका बिल्कुल उल्टा होता है.

अब अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने डीईटी-1 नामक एक ऐसे जीन की पहचान की है जो जैविक चक्र में सांध्य जीन को दबाने में अहम भूमिका निभाता है. मुख्य अनुसंधानकर्ता येल के स्नातक ऑन सन लाऊ ने कहा, जो पादप कम डीईटी-1 बनाते हैं उनमें जैविक घड़ी तेज होती है और उनमें कम समय में फूल आ जाते हैं. इस खोज की मदद से विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को भी दुर्गम स्थानों से सभी सहज और सुलभ स्थानों पर उगाया जा सकेगा. इससे चिकित्सा के क्षेत्र में भी नई क्रांति हो सकेगी.

First Published: Monday, September 5, 2011, 13:25

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