महाप्रयोग : गॉड पार्टिकल की मिली झलक - Zee News हिंदी

महाप्रयोग : गॉड पार्टिकल की मिली झलक

जिनेवा : सृष्टि की रचना कैसे हुई, इस रहस्य से अब जल्द ही पर्दा उठने वाला है। जिनेवा में महाप्रयोग से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्हें हिग्स बोसोन यानी गॉड पार्टिकल की एक झलक दिखी है। गॉड पार्टिकल या हिग्स बोसोन वे कण हैं, जिसकी ब्रह्मांड की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। भौतिकी के नियमों के मुताबिक, धरती पर हर चीज को मास देने वाले यही कण हैं।

 

लोगों को 1960 के दशक में इस बारे में पहली बार पता चला था। तब से भौतिकविद इस अबूझ पहेली को सुलझाने में लगे हैं। पिछले दो साल से स्विट्जरलैंड और फ्रांस की सीमा पर 27 किमी लंबी सुरंग में अति सूक्ष्म कणों को आपस में टकराकर विज्ञानी इस पार्टिकल की खोज कर रहे हैं। इस शोध पर लगभग आठ हजार वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं। यूरोपियन आर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (केर्न) के शोधकर्ता ब्रूनो मानसौली ने कहा कि पिछले दो साल से जारी प्रयोग में विज्ञानी वहां तक पहुंच चुके हैं, जहां पर वे हिग्स बोसोन हासिल कर सकते हैं।

 

भौतिकी के स्टैंडर्ड मॉडल में हिग्स बोसोन एक लापता कड़ी है। यदि हिग्स बोसोन का पता चल जाता है तो सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ, का पता चल जाएगा। यह खोज पहली शताब्दी की प्रमुख उपलब्धियों में से एक होगी और आइंस्टीन के पहले क्वांटम फिजिक्स के पहले जाने जैसा होगा। हालांकि अभी हिग्स बोसोन की मौजूदगी केवल अनुमान है। अगर यह गॉड पॉर्टिकल धोखा साबित होता है तो यह वैज्ञानिकों को दोबारा पार्टिकल फिजिक्स की टेक्स्ट बुक लिखने पर मजबूर होना पड़ेगा।

 

विज्ञानियों का कहना है कि जब हमारा ब्रह्मांड अस्तित्व में आया था, उससे पहले सब कुछ हवा में तैर रहा था, किसी चीज का तय आकार या वजन नहीं था, जब हिग्स बोसोन भार ऊर्जा लेकर आया तो सभी तत्व उसकी वजह से आपस में जुड़ने लगे और उनमें मास या आयतन पैदा हो गया। विज्ञानियों का कहना है कि हिग्स बोसोन की वजह से ही आकाशगंगाएं, ग्रह, तारे और उपग्रह बने।

 

विज्ञानी बताते हैं कि हिग्स बोसोन बहुत ही अस्थिर पार्टिकल है। जिस तरह हिग्स बोसोन का अंत होने से पहले उसका रूप बदलता है उस तरह के कुछ अति सूक्ष्म कण देखे गए हैं इसलिए उम्मीद पैदा हो गई है कि यह प्रयोग सफल होगा।

(एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 14, 2011, 13:31

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