Last Updated: Tuesday, October 18, 2011, 07:54
लंदन : वैज्ञानिकों ने डेंगू से जुड़े दो जीनों की पहचान की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये जीन किसी व्यक्ति के डेंगू का शिकार होने का जोखिम बढ़ा देते हैं।
मच्छरों से होने वाले डेंगू रोग से पीड़ितों की संख्या मलेरिया के बाद सबसे ज्यादा है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में इस रोग से हर साल करीब 10 करोड़ लोग संक्रमित होते हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने दो जीन क्रोमोसोम-6 पर एमआईसीबी और क्रोमोसोम-10 पर पीएलसीई-1 के डीएनए कोड में बदलाव पाए हैं। डीएनए कोड में इस बदलाव से डेंगूग्रस्त होने की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज से इस बारे में महत्वपूर्ण तथ्य हासिल होते हैं कि संक्रमण के प्रति शरीर किस तरह से व्यवहार करता है। एमआईसीबी के बारे में कहा जाता है कि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शोध करने वाले दल का मानना है कि इस जीन के अवयव संक्रमण से लड़ने के लिए अहम भूमिका निभाने वाली कोशिकाओं के क्रियान्वयन को प्रभावित कर सकते हैं।
अगर ये कोशिकाएं सही तरह से काम नहीं करती हैं तो शरीर की डेंगू के विषाणु से लड़ने की क्षमता क्षीण हो जाती है।
‘नेचर जेनेटिक्स’ पत्रिका के ताजा अंक के अनुसार, इस शोध के वैज्ञानिकों ने बताया कि डेंगू जीवन के लिए खतरनाक बीमारी है और हमारे अध्ययन से पुष्टि होती है कि कुछ लोग प्राकृतिक रूप से कई तरह की बीमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 18, 2011, 13:30