Last Updated: Friday, October 21, 2011, 10:47
लंदन : जो लोग मोबाइल फोन के उपयोग से कैंसर जैसी बीमारी होने के खतरे से डरे हुए थे उनके लिए राहत की खबर है. वैज्ञानिकों का मानना है कि मोबाइल फोन से कैंसर का कोई लेना-देना नहीं है।‘ब्रिटिश मेडिकल जर्नल’ के नए अध्ययन से अब इस बहस पर विराम लगने की संभावना है कि मोबाइल फोन लोगों के लिए नुकसानदेह साबित होता है।
इस विषय पर अब तक के सबसे बड़े अध्ययन में डेनिस शोधकर्ताओं को पता चला है कि लंबे समय तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल और मस्तिष्क कैंसर होने के बीच कोई संबंध नहीं है।
कोपनहेगन में कैंसर एपिडिमियोलॉजी संस्थान के शोधकर्ताओं ने 18 वर्ष तक 358,000 लोगों पर नजर रखी और पाया कि मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों में कैंसर होने की दर लगभग वही है, जो मोबाइल नहीं प्रयोग करने वालों में है। इससे उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि मोबाइल फोन के प्रयोग से मस्तिष्क कैंसर या किसी अन्य कैंसर होने का कोई वास्ता नहीं है।
यह अध्ययन वर्ष 1990 से लेकर 2007 के बीच किया गया, जिसमें शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन प्रयोग करने वाले और नहीं करने वालों लोगों का अध्ययन किया। कुल मिलाकर 10,279 लोगों के मुख्य तंत्रिका तंत्र में ट्यूमर पाया गया। जब 13 साल या इससे ज्यादा समय से मोबाइल फोन का प्रयोग कर रहे लोगों पर अध्ययन किया गया तो पता चला कि उनमें भी कैंसर की वही दर है। शोधकर्ताओं ने कहा कि 10 वर्ष या अधिक समय से मोबाइल इस्तेमाल कर रहे लोगों में कैंसर होने की कोई आशंका नहीं है।
लेकिन, उन्होंने इससे इंकार नहीं किया कि अगर लंबे समय तक बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो इसकी थोड़ी आशंका रहती है। जहां कुछ विशेषज्ञों ने इस खुलासे का स्वागत किया है, वहीं कुछ इस अध्ययन से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। ब्रिटेन में कैंसर रिसर्च संस्थान में ‘एवीडेंस एंड हेल्थ इंफार्मेशन’ के के सूत्रों के हवाले से कहा है कि यह अब तक का सबसे बड़ा सबूत है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से वयस्कों के प्रमुख तंत्रिका तंत्र या मस्तिष्क में कैंसर होने की आशंका नहीं रहती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल आगाह किया था कि मोबाइल फोन कैंसर का कारण हो सकता है और इसके सीमित इस्तेमाल की सलाह दी थी।
(एजेंसी)
First Published: Friday, October 21, 2011, 16:50