मौत जैसा अनुभव होता है जब आत्मा ...

मौत जैसा अनुभव होता है जब आत्मा ...

लंदन: प्राणी की तंत्रिका प्रणाली से जब आत्मा को बनाने वाला क्वाटंम पदार्थ निकल कर व्यापक ब्रह्मांड में विलीन होता है तो मृत्यु जैसा अनुभव होता है। इस महत्वपूर्ण सिद्धांत का प्रदिपादन दो प्रख्यात वैज्ञानिकों ने किया है।

इस सिद्धांत के पीछे विचार यह है कि मस्तिष्क में क्वांटम कंप्यूटर के लिए चेतना एक प्रोग्राम की तरह काम करती है। यह चेतना मृत्यु के बाद भी ब्रह्मांड में परिव्याप्त रहती है। उन्होंने मृत्यु का करीबी अनुभव करने वाले लोगों के अनुभवों पर आधार पर इसे समझाने का प्रयास किया है।

डेली मेल की खबर के अनुसार एरिजोना विश्वविद्यालय में एनेसथिएसिलोजी एवं मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एमरेटस एवं चेतना अध्ययन केन्द्र के निदेशक डा. स्टुवर्ट हेमेराफ ने इस अर्ध धार्मिक सिद्धांत को आगे बढ़ाया है।

यह परिकल्पना चेतनता के उस क्वांटम सिद्धांत पर आधारित है जो उन्होंने एवं ब्रिटिश मनोविज्ञानी सर रोजर पेनरोस ने विकसित की है। इस सिद्धांत में माना गया है कि हमारी आत्मा का मूल मस्तिष्क कोशिकाओं के अंदर बनी ढांचों में होता है जिसे माइक्रोट्यूबुल्स कहते हैं।

दोनों वैज्ञानिकों का तर्क है कि इन माइक्रोट्यूबुल्स पर पड़ने वाले क्वांटम गुरूतत्वाकषर्ण प्रभाव के परिणामस्वरूप हमें चेतनता का अनुभव होता है। वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को आर्केस्ट्रेड आब्जेक्टिव रिडक्शन (आर्च-ओर) का नाम दिया गया है।

इस सिद्धांत के अनुसार हमारी आत्मा मस्तिष्क में न्यूरान के बीच होने वाले संबंध से कहीं व्यापक है। दरअसल इसका निर्माण उन्हीं तंतुओं से हुआ जिससे ब्रह्मांड बना था। यह आत्मा काल के जन्म से ही व्याप्त थी। अखबार के अनुसार यह परिकल्पना बौद्ध एवं हिन्दुओं की इस मान्यता से काफी कुछ मिलती जुलती है कि चेतनता ब्रह्मांड का अभिन्न अंग है। इस मिलती जुलती धारणा पश्चिमी दर्शन आदर्शवाद में भी देखी जा सकती है।

इन परिकल्पना के साथ हेमराफ कहते हैं मृत्यु जैसे अनुभव में माइक्रोट्यूबुल्स अपनी क्वांटम अवस्था गंवा देते हैं। लेकिन इसके अंदर के अनुभव नष्ट नहीं होते। आत्मा केवल शरीर छोड़ती है और ब्रह्मांड में विलीन हो जाती है।

हेमराफ ने साइंस चैनल के वार्महोल वृत्तचित्र में कहा, ‘हम कह सकते हैं कि दिल धड़कना बंद हो जाता है। रक्त का प्रवाह रूक जाता है। माइक्रोट्यूबुल्स अपनी क्वांटम अवस्था गंवा देते हैं। माइक्रोट्यूबुल्स में क्वांटम सूचना नष्ट नहीं होती। यह नष्ट नहीं हो सकती। यह महज व्यापक ब्रह्मांड में वितरित एवं विलीन हो जाती है।’

उन्होंने कहा कि यदि रोगी बच जाता है तो यह क्वांटम सूचना माइक्रोट्यूबुल्स में वापस चली जाती है तथा रोगी कहता है कि उसे मृत्यु जैसा अनुभव हुआ है।

हेमराफ यह भी कहते हैं कि यदि रोगी ठीक नहीं हो पाता और उसकी मृत्यु हो जाती है तो यह संभव है कि यह क्वांटम सूचना शरीर के बाहर व्याप्त है। संभवत: यह सूचना आत्मा की तरह अनिश्चितकाल तक व्याप्त रहती है। (एजेंसी)







First Published: Thursday, November 1, 2012, 08:22

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