Last Updated: Wednesday, January 11, 2012, 07:20

वाशिंगटन : चेहरे से मिलती-जुलती आकृतियों में से असली चेहरे पहचानने में हमारे मस्तिष्क के दाएं व बाएं दोनों हिस्से काम करते हैं। भारतीय मूल के वैज्ञानिक के सह अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
चेहरों से मिलती-जुलती वस्तुएं हर कहीं हैं। फिर चाहे वह न्यू हैम्पशायर का ग्रेनाइट पत्थर का 'ओल्ड मैन ऑफ द माउंटेन' या 'जीसस' हो या फिर गेहूं के आटे से बनी आकृति हो। हमारा मस्तिष्क चेहरों से मिलती-जुलती आकृतियों को पहचान लेता है।
अब तक कहा जाता रहा है कि सामान्य मस्तिष्क मानव चेहरों से मिलती-जुलती आकृतियां नहीं पहचान सकता लेकिन यह सच नहीं है। मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के पवन सिन्हा कहते हैं कि आप कह सकते हैं कि इन आकृतियों में चेहरे जैसा कुछ है लेकिन दूसरी ओर आप उसे एक वास्तविक चेहरा मानने में गुमराह नहीं होते।
मस्तिष्क के बाएं हिस्से में फ्यूजीफॉर्म गायरस नाम का एक हिस्सा होता है। यह हिस्सा चेहरों की पहचान व तस्वीरों में चेहरे की आकृति पहचानने में मददगार होता है। जर्नल 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसायटी बी' के मुताबिक मस्तिष्क का यही हिस्सा चेहरे से मिलती-जुलती आकृतियां पहचानने में मदद करता है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 11, 2012, 12:55