Last Updated: Sunday, January 15, 2012, 08:00
नई दिल्ली: आम तौर पर यही माना जाता है कि हिमालय ग्लेशियर के पिघलने के पीछे ग्लोबल वार्मिंग ही मुख्य कारण है। पर अब इस धारणा को झुठलाते हुये विज्ञान मंत्रालय के एक प्रमुख अधिकारी का कहना है कि इसके अलावा भी और कुछ कारण हो सकते हैं।
विज्ञान मंत्री के सलाहकार अखिलेख गुप्ता का कहना है कि पिछले पांच सालों में सरकारी एजेंसियों द्वारा किये गये निरीक्षणें से पता चला है कि गंगोत्री ग्लेशियर के पिघलने की दर में कमी आई है।
उन्होंने कहा, ‘यह नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ ग्लोगल वार्मिंग के कारण ही यह ग्लेशियर पिघल रहा है या फिर यह कोई एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। उनका मानना है कि इन ग्लेशियरों के पिघलने के पीछे कुछ और भी कारण शामिल हैं।
गुप्ता ने कहा, ‘ मैं यह नहीं कहता कि गंगोत्री ग्लेशियर का पिघलना बंद हो चुका है पर इसकी दर में जरूर कमी आई है।’’ सरकार ने ‘नेशनल एक्शन प्लान फॉर क्लाइमेट चेंज’ के अंतर्गत हिमालयी जलवायु के संरक्षण के पहले ही एक राष्ट्रीय मिशन का आगाज किया है।
गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना और अन्य कई प्रमुख नदियां हिमालय से ही निकलती हैं। माना जा रहा है कि इस पर्वतश्रंखला के जलवायु में आने वाले किसी भी बदलाव के कारण 1.3 अरब लोगों का जीवन प्रभावित हो सकता है।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, January 15, 2012, 13:35