Last Updated: Thursday, June 6, 2013, 17:09

बैंकॉक : एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये की पृष्ठभूमि में भारत ने आज कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है तथा किसी भी विवाद या मतभेद का समाधान कूटनीति ढंग से होना चाहिए। अपने एक दिवसीय थाईलैंड दौरे पर पहुंचे रक्षा मंत्री एके एंटनी ने रक्षा उत्पाद के क्षेत्र में बैंकॉक के साथ सहयोग का प्रस्ताव भी दिया।
एंटनी ने थाई समकक्ष एयर चीफ मार्शल सुकुमपोल सुवानतात के साथ बातचीत में कहा, ‘हमारा व्यापार समुद्री रास्ते पर निर्भर है। ऐसे में समुद्री मार्गों की सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता हमारी आर्थिक एवं संपूर्ण सुरक्षा के लिए निर्णायक है। भारत अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार नौवहन की स्वतंत्रा का समर्थन करता है।’ शांति एवं स्थिरता को क्षेत्र के सभी देशों के हित में करार देते हुए एंटनी ने कहा, ‘हम संवाद की प्रक्रिया एवं संबंधित पक्षों के बीच सहमति के जरिए मतभेदों तथा विवादों के समाधान का समर्थन करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सभी देशों को संयम बरतना चाहिए और मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार कूटनीतिक ढंग से हल करना चाहिए।’
एंटनी का यह बयान उस वक्त आया है जब दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में बीजिंग काफी आक्रामण रूख दिखा रहा है। रक्षा मंत्री ने क्षेत्र में किसी भी सुरक्षा ढांचे के लिए आसियान को केंद्र करार देते हुए कहा, ‘भारत ‘आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग प्लस’, आसियान क्षेत्रीय मंच तथा पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन के संवाद एवं सहमति बनाने के प्रयासों को लेकर प्रतिबद्ध है।’ क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें अपने पड़ोस एवं एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता कायम रखने में दोनों देशों की बड़ी भूमिका है।’
थाईलैंड के साथ रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग का प्रस्ताव देते हुए एंटनी ने कहा, ‘भारत ने बीते कई वर्षों के दौरान रक्षा उद्योग को न सिर्फ विकसित किया है, बल्कि उसे स्थापित भी किया है। यह थाई शस्त्र बल की व्यापक जरूरतों की पूर्ति कर सकता है।’ उन्होंने भारत के विभिन्न भारतीय सैन्य उत्पादन स्थलों का दौरा करने के लिए थाई रक्षा प्रतिनिधियों का स्वागत किया। (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 6, 2013, 17:09