अफगानिस्तान को आपूर्ति के लिए पाक-यूएस में समझौता

अफगानिस्तान को आपूर्ति के लिए पाक-यूएस में समझौता

इस्लामाबाद : पाकिस्तान और अमेरिका ने कई हफ्तों की गहन बातचीत के बाद अफगानिस्तान में मौजूद नाटो सैनिकों को पाकिस्तानी सरजमीं के रास्ते वस्तुओं की आपूर्ति के लिए आज एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया। हालांकि, इसमें हथियार और गोला बारूद सहित सभी घातक साजो सामान के परिवहन पर रोक लगाने की बात की गयी है।

साथ ही, पाकिस्तान को 1. 1 अरब डॉलर की रोकी गयी सैन्य सहायता को बहाल करने पर भी अमेरिका राजी हो गया है। समझौता पत्र में कहा गया है कि अफगानिस्तान स्थित विदेशी सैनिकों के लिए हथियार और गोला बारूद पाकिस्तान के रास्ते नहीं भेजा जा सकता है। सभी वस्तुओं की कराची के अलावा चमन एवं तोरखम की चौकियों पर जांच की जाएगी।

समझौता पत्र के मुताबिक नाटो बलों के लिए हथियार और गोला बारूद सहित घातक साजो सामान पाकिस्तान के रास्ते नहीं भेजी जा सकते हैं। हालांकि, अफगान सुरक्षा बलों के लिए हथियारों की खेप को पाकिस्तान अपने क्षेत्र से गुजरने की इजाजत देगा।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने संवाददाताओं को बताया कि समझौता पत्र देश के राष्ट्रीय हितों की हिफाजत करेगा। अमेरिकी उपराजदूत रिचर्ड होगलैंड और पाकिस्तान के अतिरिक्त रक्षा सचिव रियर एडमिरल फारूक अहमद ने रावलपिंडी में समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए।

होगलैंड ने कहा कि अमेरिका जल्द ही पाकिस्तान के लिए 1. 1 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता जारी करेगा।
कैबिनेट ने पिछले हफ्ते समझौता पत्र के मसौदे को मंजूरी प्रदान की थी। इससे पहले दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता हुई थी।

गौरतलब है कि पाकिस्तान ने नाटो के हवाई हमले में पिछले साल अपने 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद अफगानिस्तान को वस्तुओं की आपूर्ति किए जाने वाले सभी मार्ग बंद कर दिए थे। पाकिस्तानी संसद की सिफारिशों के मुताबिक यह समझौता पत्र घातक उपकरणों के परिवहन की इजाजत नहीं देता है।

समझौता पत्र के तहत खबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों के दो रास्तों का ही इस्तेमाल नाटो कंटेनर और टैंकर कर सकेंगे। नाटो के आपूर्ति वाहन चमन और तोरखम सीमा चौकी से अफगानिस्तान में प्रवेश कर सकते हैं।


नाटो को वस्तुओं की आपूर्ति के लिए पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी दूतावास में दो निगरानी कार्यालय स्थापित किए जाएंगे। अमेरिकी दूतावास से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह कदम अफगानिस्तान को सहायता और क्षेत्री स्थायित्व के लिए हमारी प्रतिबद्धता को भी जाहिर करता है।

अमेरिका ने कहा है कि वह इन लक्ष्यों को पारस्परिक हित में और पारस्परिक सम्मान के आधार पर हासिल करने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

समझौता पत्र के मुताबिक किसी भी गलतफहमी को द्विपक्षीय चर्चा से दूर किया जाएगा और इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं होगा। यह समझौता पत्र 31 दिसंबर 2015 तक वैध होगा। दोनों देशों के बीच परामर्श के बाद इसमें एक बार में एक साल की बढ़ोतरी की जा सकेगी। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, August 1, 2012, 00:06

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