अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में कोई कठिनाई नहीं : राव

अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में कोई कठिनाई नहीं : राव

अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में कोई कठिनाई नहीं : राववाशिंगटन : अमेरिका में भारत की राजदूत निरूपमा राव ने कहा है कि भारत में कारोबार का वातावरण कहीं से भी नवप्रवर्तन या अमेरिकी कंपनियों के लिए प्रतिकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में दवा कंपनियों के पेटेंट अधिकार की रक्षा और जनता के स्वास्थ्य की अत्यावश्यक आवश्यकताओं के बीच संतुलन बिठाने की व्यवस्था के लिए बडी मेहनत की है।

राव ने अखबार ‘दी हिल’ में कल एक खुले लेख में कहा, ‘पिछले 60 वर्ष से भी अधिक समय में भारत ने केवल एक दवा के
अनिवार्य लाइसेंस जारी करने का निर्णय किया है। इसे नव प्रवर्तन या अमेरिका की कंपनियों के लिए किसी तरह के प्रतिकूल वातावरण का सबूत नहीं माना जा सकता।’

राव ने कहा कि अनिवार्य लाइसेंस व्यवस्था नवप्रवर्तन प्रयासों पर पानी फेरने का कार्य नहीं है बल्कि यह नयी दवा विकसित करने वाली कंपनियों और आम जनता के स्वास्थ्य की अत्यावश्यक आवश्यकताओं के बीच एक न्यायोचित संतुलन बिठाने का तरीका है। भारतीय राजदूत ने कहा है, ‘भारत पेटेंट कानून का सम्मान करता है-अपमान नहीं।’

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने एक कैंसर की दवा पर नोवार्तिस के पेटेंट दावे को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने
कहा कि कंपनी का दावा किसी अभिनव प्रयोग की बजाय पुरानी दवा में ही थोड़े बहुत हेरफेर पर आधारित है। राव ने कहा कि न्यायालय ने वास्तविक रूप से वैध पेटेंट धारकों के अधिकार को मजबूत करने वाला न कि उनके अधिकार को कमजोर करने वाला फैसला दिया है।

अमेरिका में भारतीय राजदूत ने यह भी कहा है कि भारत विश्व व्यापार संगठन के व्यापार से जुड़े बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) विषयक समझौता के अनुपालन को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि भारत में 30 करोड़ लोग गरीब हैं। अनिवार्य लाइसेंस का निर्णय ऐसे लोगों की जरूरत को देख कर किया गया। यह निर्णय ट्रिप्स के प्रावधानों के अनुसार ही है।

लेख में राव ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि 2005-11 के बीच भारत के पेटेंट कार्यालय ने 4000 से अधिक औषधियों की खोज पर पेंटेंट के दावों को मान्यता दी है। इनमें 20-30 प्रतिशत दावे अमेरिकी कंपनियों के और कुल मिला कर 85 प्रतिशत विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों के हैं। उन्होंने कहा है कि भारत आज विश्व की एक चौथाई जेनरिक दवाओं का उत्पादन करता है और ‘विश्व की फार्मेसी’ कहा जाता है। देश को इस पर गर्व है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, August 15, 2013, 14:00

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