Last Updated: Tuesday, April 2, 2013, 21:28
वाशिंगटन : एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय महिला पेशेवर अपनी पेशेवर आकांक्षाओं को पूरा करने के मामले में अमेरिका, जर्मनी और जापान में अपनी समकक्ष महिलाओं से कहीं आगे हैं।
थिंकटैंक सेंटर फॉर टैलेंट इनोवेशन ने कहा है कि यह उस कठिन संतुलन की प्रक्रिया के बावजूद है, जिसका सामना दुनिया भर की अधिकांश महिलाओं को करना पड़ता है। सीटीआई के अध्यक्ष सेल्विया एन हियुलेट द्वारा हावर्ड बिजनेस रिव्यू के ब्लॉग पोस्ट पर डाली गई रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज से शिक्षित 775 महिलाओं के बीच कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि इसमें से मात्र 36 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी मर्जी से कुछ समय के लिए नौकरी छोड़ दी थी।
यह अमेरिका, जापान और जर्मनी के लिए बराबर है। लेकिन उन्होंने काम से अलग होकर जो समय बिताया, वह एक साल से भी कम था। हियुलेट ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह नहीं है कि 91 प्रतिशत भारतीय महिलाएं काम पर अपनी वापसी करना चाहती हैं बल्कि यह है कि बहुत सी महिलाएं काम से अलग होने के बाद वापसी करने में सफल भी रही हैं।
नौकरी छोड़ देने के बाद बहुत सी भारतीय महिलाएं काम को हमेशा के लिए छोड़ देने के बजाय उससे थोड़ा पीछे हटने को प्राथमिकता देती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 73 प्रतिशत महिलाएं इसके लिए अल्पकालिक कार्य, आसान कार्य प्रबंधन या फिर ऐसे पद को चुनती हैं, जिसमें थोड़ी कम जिम्मेदारियां हों। हालांकि अमेरिका में ऐसी महिलाओं की संख्या 58 प्रतिशत, जर्मनी में 49 प्रतिशत और जापान में 36 प्रतिशत है। हियुलेट ने कहा कि कार्यक्षेत्र में वापसी करने की इच्छुक महिलाओं में से 72 प्रतिशत ऐसी हैं जो उस कंपनी में वापसी नहीं करना चाहतीं, जिससे वे अलग हुई थीं। इस चलन को हियुलेट ‘परेशान करने वाला’ बताती हैं।
कार्यक्षेत्र और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बैठाने में कई महिलाओं को आने वाली परेशानी के बारे में हियुलेट का मानना है कि उन्हें उनके नियोक्ताओं से न तो सहयोग मिलता है न ही वे उन्हें समझते हैं। आगे वे कहती हैं कि हालांकि कई कंपनियां कार्य के लिए आसान कार्य प्रबंध का विकल्प देते हैं लेकिन लगभग आधी से ज्यादा महिलाएं सोचती हैं कि इसका इस्तेमाल किए जाने पर वे दंडित की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि कार्यक्षेत्र में वापसी करने वालों के प्रति सहकर्मी अक्सर असहयोगी रवैया अपना लेते हैं और प्रबंधक उन्हें एक तरह से हाशिये पर भेज देते हैं। दरअसल उन्हें यह संदेह होता है कि यह महिला दोबारा कार्यक्षेत्र से दूर जा सकती है।
हियुलेट ने लिखा कि संक्षेप में कहा जाए तो भारत में एक अंतराल के बाद कार्यक्षेत्र में वापसी करना आसान है लेकिन पेशे में वही उंचाई पाना मुश्किल है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 2, 2013, 21:28