Last Updated: Tuesday, July 16, 2013, 13:30
वॉशिंगटन: एक शीर्ष अमेरिकी सांसद ने देश की सेना में सिखों की भर्ती के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए हैं ताकि वह अपनी आस्था का पालन करते हुए बल की सेवा कर सकें।
अमेरिकी रक्षा मंत्री चक हेगल को लिखे एक पत्र में कांग्रेस सदस्य जोए क्राउले ने कहा है ‘दुनिया भर में, और अब अमेरिका में सिख सिपाही पूरी क्षमता तथा ईमानदारी से काम करते हुए अपनी धार्मिक प्रतिबद्धता बनाए रखने में स्पष्ट रूप से योग्य हैं।’ क्राउले ने लिखा है ‘अमेरिकी सशस्त्र बलों से हमारा सम्मान सहित आग्रह है कि वह अपने नियमों को आधुनिक रूप दें ताकि देशभक्त सिख अमेरिकी उस देश की, अपनी आस्था का पालन करते हुए सेवा कर सकें जिसे वह प्यार करते हैं।’
पत्र में कहा गया है ‘भारतीय सेना के वर्तमान चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ पगड़ी पहनने वाले और दाढ़ी रखने वाले एक सिख हैं। ऐसा तब है कि भारत की कुल आबादी में सिखों की संख्या दो फीसदी से भी कम है।’ सांसदों के हस्ताक्षर के लिए इस पत्र को कांग्रेस में वितरित किया जा रहा है।
सेना में फिलहाल तीन सिख अमेरिकी हैं और इन्हें अफगानिस्तान सहित दूसरे देशों में उत्कृष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है। पत्र में कहा गया है कि तीनों सिख सिपाही फिलहाल अमेरिकी सेना में हैं और उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है।
अफगानिस्तान में सेवा के लिए मेजर कमलजीत सिंह कालसी को ‘ब्रांज स्टार मेडल’ से सम्मानित किया गया, वहीं कैप्टन तेजदीप सिंह रत्तन ने अफगानिस्तान में ही उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘नाटो मेडल’ हासिल किया। विशेषज्ञ सिमरन प्रीत सिंह लांबा ने ‘मिलिटरी एक्सेसन्स वाइटल टू नेशनल इंटरेस्ट’ (एमएवीएनआई) प्रोग्राम से सफलतापूर्वक स्नातक कोर्स किया।
हेगल ने कहा, ‘इन सैनिकों की उपलब्धि और अपनी आस्था का पालन करते हुए अभियान संबंधी जरूरतें पूरी करने की उनकी क्षमता को देखते हुए हमें लगता है कि अब समय आ गया है जब हमारी सेना सिख अमेरिकियों को दायित्व सौंपे।’’ पत्र में कहा गया है कि प्रथम विश्व युद्ध से सिखों ने अमेरिकी सेना में अपनी सेवाएं दी हैं और कनाडा, भारत तथा ब्रिटेन में भी उन्हें सशस्त्र बलों में सेवाएं देने की अनुमति है।
अमेरिकी सेना में सिखों के काम करने की परंपरा पुरानी और प्रथम विश्वयुद्ध से है। इसमें बदलाव 1980 के दशक में हुआ जब सेना ने ड्रेस कोड लागू किया जिसके बाद भविष्य में सिखों को इसमें शामिल करने पर रोक लगा दी गई। दाढ़ी और काटे न जाने वाले केश की वजह से उन्हें विशेष अनुमति के बिना सेना में अपनी सेवाएं देने की अनुमति नहीं है। क्राउले के अनुसार, अगर सिख अमेरिकी शिक्षित हैं तो यह मानना चाहिए कि वह अमेरिकी सेना में अपनी सेवाएं देने योग्य हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 16, 2013, 13:30