Last Updated: Monday, September 26, 2011, 06:36
वाशिंगटन. पाकिस्तान ने एक परमाणु संपन्न देश बनने के लिए सभी हथकंडे अपनाए. आईएसआई की हालिया रिपोर्ट पर गौर करें तो यह बात साफ तौर पर जाहिर होता हैं कि पाकिस्तान ने अपनी गोपनीय परमाणु तकनीक और उपकरण ईरान और लीबिया जैसे देशों से साझा किए थे.
पाकिस्तान के विवादास्पद परमाणु वैज्ञानिक ए क्यू खान से हुई पूछताछ पर आधारित आईएसआई की रिपोर्ट से यह बात सामने आई है. इस रिपोर्ट को पश्चिमी देशों के खुफिया एजेंसियों से भी साझा किया गया.
रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन दिनों अजीबोगरीब हालात और ढीलेढाले इंतजाम होने के चलते ऐसी बातें हुईं. हालांकि इस रिपोर्ट में उत्तरी कोरिया का कोई जिक्र नहीं है. पश्चिमी देश कहते रहे हैं कि उसे भी पाकिस्तान से चोरी-छिपे परमाणु तकनीक हासिल हुई थी. रिपोर्ट में आईएसआई ने माना है कि एटमी तकनीक हासिल करने और मुल्क में न्यूक्लियर प्लांट स्थापित कर परमाणु हथियारों के उत्पादन के लिए पाक ने हर कानूनी और गैर कानूनी तरीके का इस्तेमाल किया.
रिपोर्ट कहती है कि 1976 के मध्य में जब एटॉमिक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन बना, तब प्रोजेक्ट डायरेक्टर को किसी भी तरीके से हर चीज हासिल करने के लिए खुली छूट दी गई थी.
इसमें कहा गया है कि 1971 में पाक के बंटवारे और 1974 में भारत के परमाणु पराक्षण के बाद मुल्क की सुरक्षा और अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा था. आईएसआई कहती है कि तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने खुलेआम 'मांगो, उधार लो या चुराओ' नीति का ऐलान किया था. वजह थी पाकिस्तान को किसी भी तरह की न्यूक्लियर टेकनॉलजी दिए जाने पर लगाए गए कड़े प्रतिबंध.
खस्ताहाल पाक को उस वक्त हर चीज विदेशों में खुले बाजार से चुपके से खरीदनी पड़ी थी. ऐसी कंपनियां कुवैत, बहरीन, यूएई, सिंगापुर, ब्रिटेन, जर्मनी, लग्जमबर्ग और स्विट्जरलैंड से काम कर रही थीं.
(एजेंसी)
First Published: Monday, September 26, 2011, 12:06