Last Updated: Thursday, January 12, 2012, 11:34

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक अदालत ने मेमोगेट कांड के कारण सेना प्रमुख जनरल अशफाक परेवज कयानी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा को उनके पदों से हटाने के सरकार के किसी भी प्रयास के खिलाफ रोक लगाने के लिए दायर याचिका को विचार के लिए स्वीकार कर लिया है।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने वकील मौलवी इकबाल हैदर की ओर से दायर इस याचिका को विचार के लिए स्वीकृति दी। हैदर ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को एक अधिसूचना जारी करके उनकी याचिका पर अंतिम निर्णय होने से पहले सेना और आईएसआई प्रमुख के खिलाफ किसी भी कार्रवाई को प्रतिबंधित कर दे।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक हालांकि, पाकिस्तान का शीर्ष न्यायालय हैदर को ‘संदेहास्पद चरित्र’ मानता है और झूठी याचिकाएं दायर करने के कारण मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने उनके न्यायालय परिसर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी है। हैदर ने यह याचिका सेना की ओर से प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को यह चेतावनी देने पर कि सेना और आईएसआई की निंदा के ‘गंभीर परिणाम’ हो सकते हैं, के कुछ ही घंटों बाद दायर की थी।
गिलानी ने बुधवार को रक्षा मंत्री को बर्खास्त कर दिया, जिसके बाद यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार सेना और आईएसआई प्रमुख के खिलाफ भी ऐसे ही कदम उठा सकती है। हैदर ने अपनी याचिका संविधान की अनुच्छेद 199 के तहत दायर की है और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेना प्रमुख, आईएसआई प्रमुख और नेशनल अकाउंटेबलिटी ब्यूरो के अध्यक्ष समेत 11 लोगों को प्रतिवादी बनाया है।
पाकिस्तानी मीडिया ने आज देश की सेना से आ्रगह किया है कि वह देश में एक बार फिर सैन्य तख्तापटल न करे। मेमोगेट कांड के कारण सेना और सरकार में बढ़ रहे मतभेदों को देखते हुए एक बार फिर ऐसा लगने लगा है कि सेना देश की कमजोर सरकार को सत्ता से हटा देगी। सेना और सरकार के बीच यह मतभेद कल उस सेना की ओर से प्रधानमंत्री को चेतावनी देने के बाद बहुत ज्यादा बढ़ गया।
(एजेंसी)
First Published: Friday, January 13, 2012, 00:26