कानूनी प्रक्रिया में नौजवानों को भागीदार बनाना चाहिए: राष्ट्रपति

कानूनी प्रक्रिया में नौजवानों को भागीदार बनाना चाहिए: राष्ट्रपति

कानूनी प्रक्रिया में नौजवानों को भागीदार बनाना चाहिए: राष्ट्रपति पोर्ट लुई : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि विकासशील देशों के सामने खड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने में नौजवानों की भी भागीदारी होनी चाहिए। मॉरीशस के तीन दिवसीय दौरे पर आए मुखर्जी को आज मॉरीशस विश्वविद्यालय की ओर डाक्टरेट ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्रदान की गई।

इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अगली पीढ़ी के तौर पर नौजवान लागों की उन चुनौतियों से निपटने में भूमिका होनी चाहिए जिनका सामना विकासशील देश कर रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध संबंधी अध्ययन को लेकर मॉरीशस के छात्रों के लिए करीब 100 छात्रवृत्ति हर साल दी जाती है। यह व्यवस्था भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तहत कराए जाने वाले अंशकालिक पाठ्यक्रमों के लिये तयह 290 स्थानों से अलग है।’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘हाल के वषरें में ’हमने इन छात्रवृत्तियों को हासिल करने वाले छात्रों की संख्या में भारी इजाफा देखा है। भारतीय विश्वविद्यालयों में मॉरीशस के कई छात्रों ने खुद के खर्च पर पंजीकरण करवाया है। हम भारत में इनका स्वागत करते हैं।’

राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, ‘‘मॉरीशस के संस्थापकों ने शिक्षा में बड़ा निवेश किया जो इस देश के लिए भारी लाभकारी साबित हुआ और आज हम यहां विकास के इस स्तर को इसी वजह से देख पा रहे हैं।’’ उन्होंने खुद को डॉक्टरेट की मानद उपाधि दिए जाने पर मॉरीशस विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त किया।

मुखर्जी ने कहा, ‘‘गुणवत्ता शिक्षा मुहैया कराना इस विश्वविद्यालय की परंपरा रही है जो मॉरीशस के समाज की जरूरतों के अनुरूप है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मॉरीशस ने जो उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, उसको लेकर यहां के हर निवासी को गर्व करना चाहिए।’’ राष्ट्रपति ने बीते 11 मार्च को भारत और मॉरीशस के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने को लेकर भी खुशी का इजहार किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ये समझौते दोनों देशों के संबंधों की विविधता को प्रदर्शित करते हैं और इनसे निश्चित तौर पर दोनों देशों के लोगों का फायदा होगा।’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारत के पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी उच्च शिक्षा व्यवस्था है, जहां सैकड़ों विश्वविद्यालय हैं और हजारों की संख्या में शिक्षण संस्थान हैं। इनमें लाखों की संख्या में छात्र अध्ययन कर रहे है।’’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, March 13, 2013, 18:08

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