कारगिल युद्ध पर बड़ा खुलासा: युद्ध से पहले परवेज मुशर्रफ ने खुद पार की थी LOC

कारगिल युद्ध पर बड़ा खुलासा: युद्ध से पहले परवेज मुशर्रफ ने खुद पार की थी LOC

कारगिल युद्ध पर बड़ा खुलासा: युद्ध से पहले परवेज मुशर्रफ ने खुद पार की थी LOCज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

इस्‍लामाबाद : कारगिल युद्ध को लेकर अब तक का सबसे बडा़ खुलासा सामने आया है। कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने का पाकिस्तानी सैनिकों का अभियान पूरी तरह जनरल परवेज मुशर्रफ के इशारे पर चलाया गया था। पाकिस्‍तान में आए दिन हो रहे सनसनीखेज खुलासों से यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि भारत के खिलाफ रची गई इस साजिश में मुशर्रफ के नेतृत्‍व वाली पाक सेना, आईएसआई व अन्‍य संगठन शामिल थे।

कारगिल युद्ध को लेकर अब एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की हकीकत सामने आ गई है। हालांकि पाकिस्‍तान हमेशा से इस बात को झुठलाता रहा है कि कारगिल युद्ध में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। पर एक पूर्व सैन्‍य अधिकारी कर्नल अशफाक हुसैन ने किया है। सेवानिवृत्‍त हुसैन ने अपनी किताब `विटनेस टू ब्लंडर` में यह खुलासा किया है कि परवेज मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध से पहले भारत-पाक सीमा पर नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार किया था। सीमा पार करने के बाद मुशर्रफ करीब 11 किलोमीटर किमी तक भारतीय सीमा के अंदर आया था। खुलासे में यह भी जिक्र किया गया है कि एलओसी पार कर भारतीय सीमा में घुसे मुशर्रफ ने एक रात भी बिताई थी।

हुसैन की किताब `विटनेस टू ब्लंडर` के कुछ अंशों को गुरुवार को पाकिस्तान के टीवी चैनल पर दिखाया गया। इसके बाद कारगिल युद्ध को लेकर मुशर्रफ की करतूत पूरी तरह खुलकर सामने आ गई। मुशर्रफ ने हालांकि इन आरोपों को खारिज किया है।

हुसैन ने अपनी किताब में जिक्र किया है कि 18 दिसंबर, 1998 को कैप्टन नदीम, कैप्टन अली और हवलदार ललक जान ने एलओसी पार कर भारतीय सीमा में रेकी की थी। उसके बाद 28 मार्च 1998 को जनरल परवेज मुशर्रफ हेलीकॉप्टर से एलओसी के पार भारतीय सीमा में 11 किलोमीटर तक अंदर आए और वहां रात गुजारी। कर्नल अमजद शब्बीर भी इस दौरान मुशर्रफ के साथ थे। हुसैन ने किताब में उस जगह का नाम जकरिया मुस्तकर पोस्ट बताया है, जहां मुशर्रफ आए थे। यह किताब 2008 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन इस बारे में खुलासा अब सामने निकल कर आया है। कर्नल हुसैन करगिल युद्ध के समय इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशंस डायरेक्टोरेट में नियुक्त थे।

हुसैन ने अपनी किताब के जरिए कई और बातों को उजागर किया है। करगिल युद्ध के बारे में तत्कालीन पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को तब पता चला जब भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फोन पर उनसे जानकारी मांगी। किताब में हुसैन ने मुशर्रफ पर तीखी टिप्पणी की है और कारगिल युद्ध को पूरी तरह गलत करार दिया है। उन्होंने लिखा है कि भले ही मुशर्रफ इस युद्ध को अपनी जीत मानते हों लेकिन यह उनकी एक करारी हार थी। हद तब हो गई जब उन्‍होंने अपने ही जवानों के शवों को पहचानने से इनकार कर दिया।

कारगिल के समय मुशर्रफ और पाक सेना वहां तक इसलिए पहुंच सकी, क्योंकि उस वक्त भारी बर्फबारी होने की वजह से भारतीय फौज वहां पर मौजूद नहीं थी। मुशर्रफ को उम्मीद थी कि जून तक भारतीय फौज को पाक सेना के वहां होने की जानकारी नहीं मिलेगी। पर भारतीय सेना को इस बात का पता चल गया और बाद में पाक को मुशर्रफ ने एक युद्ध में धकेल दिया।

मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध को लेकर अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि हुसैन एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और उन्हें कारगिल युद्ध की सच्चाई का पता है, लेकिन वह इसको छिपा रहे हैं। वे ऐसा किस कारणों से कर रहे हैं, इसका मुझे पता नहीं है। उलटे मुशर्रफ ने आरोप लगाया कि भारत ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया था, जिस वजह से कारगिल युद्ध हुआ।

अब इसमें कोई संशय नहीं है कि 1999 में हुई कारगिल युद्ध में मुजाहिद्दीनों ने नहीं बल्कि नियमित पाकिस्‍तान के सैनिकों ने हिस्सा लिया था।

First Published: Friday, February 1, 2013, 09:15

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