Last Updated: Tuesday, February 26, 2013, 20:51
इस्लामाबाद : किशनगंगा पनबिजली परियोजना से पानी के बहाव को मोड़ने के भारत के अधिकार को बरकरार रखते हुए दिए गए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता पंचाट के फैसले पर पाकिस्तान ने आज कहा है कि यह देश की कानूनी पराजय नहीं है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता फराहतुल्ला बाबर ने कहा कि पंचाट का फैसला पाकिस्तान के लिए कानूनी हार नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पंचाट के सामने कानूनी प्रकृति के दो सवाल रखे थे जो उसके न्याय क्षेत्र में आते हैं।
बाबर ने कहा, ‘‘अदालत ने (दो मे से एक) एक प्रश्न पर अंतिम निर्णय दिया है जबकि दूसरे पर फैसला दिसंबर के अंत तक आएगा ।’’ उन्होंने कहा कि अदालत के समक्ष दो प्रश्न रखे गए थे... पहला प्रश्न था.. क्या भारत द्वारा किशनगंगा नदी के पानी को दूसरी सहायक नदी में मेड़ा जाना सिंधु नदी संधि का उल्लंघन है ? और दूसरा प्रश्न था... यदि इसे अनुमति दी जाती है तो क्या बहाव की जलराशि की कोई सीमा तय होगी ? बाबर ने कहा कि दूसरे प्रश्न पर अदालत ने साफ-साफ कहा है कि संधि पश्चिमी नदियों के ‘रन-ऑफ-रिवर प्लांट’ के जलाशयों के जलस्तर को न्यूनतम स्तर से कम करने की अनुमति नहीं देता है आरैर साथ ही भारत इतना पानी भी नहीं छोड़ सकता जो जलाशयों के न्यूनतम जलस्तर की सीमा से ज्यादा हो। ‘रन-ऑफ-रिवर प्लांट’ बरसाती नदियों पर बनाए जाते हैं । इनमें जलाशय बहुत छोटे होते है या फिर नहीं होते हैं। इनसे बिजली का उत्पादन पूरे वर्ष नहीं होता है।
बाबर ने कहा कि यह फैसला सिर्फ किशनगंगा पर लागू नहीं होता बल्कि यह भविष्य में बनने वाले सभी ‘रन-ऑफ-रिवर प्लांट’ पर भी लागू होता है । उन्होंने कहा कि जलाशयों के न्यूनतम जलस्तर से कम पानी देने पर भारत पर लगा स्पष्ट प्रतिबंध पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ी राहत है। यह पश्चिमी नदियों से बिना रूके जल का बहाव पाने के देश के अधिकारों की रक्षा करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘बिना बाधा के बहाव और जलस्तर फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि बहाव में समस्या ने पाकिस्तान में फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया है।’’ बाबर ने कहा, ‘‘यह फैसला पाकिस्तान के अधिकारों की रक्षा करता है।’’ उन्होंने कहा कि भारत की योजना 150 ‘रन-ऑफ-रिवर प्लांट’ बनाने की थी जिनमें से 47 की क्षमता 50 मेगावाट से अधिक है। इसी वजह से यह निर्णय पाकिस्तान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि अदालत के इन स्पष्ट निर्देशों के अभाव में भारत की पनबिजली परियोजनाओं से पश्चिमी नदियों में बाधा रहित जल बहाव पाने की पाकिस्तान के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ होता। बाबर ने कहा कि पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए पानी के बहाव को मोड़ा जा सकता है लेकिन उनका संचालन इस प्रकार किया जाना है कि कंचनजंगा ..वेल्ल्म नदी में पानी के न्यूनतम बहाव प्रभावित ना हो। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 26, 2013, 19:54