Last Updated: Thursday, April 18, 2013, 22:52

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में गुरुवार को आक्रामक न्यायपालिका और शक्तिशाली सेना के बीच टकराव की नयी स्थिति उस वक्त पैदा हो गई जब एक अदालत ने वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान 60 न्यायाधीशों की बर्खास्तगी के मामले पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया। गिरफ्तारी का आदेश आते ही मुशर्रफ बड़े ही नाटकीय अंदाज में अदालत परिसर से भाग निकले।
पूर्व सैन्य शासक की गिरफ्तारी अब आसन्न नजर आती है क्योंकि उनके वकील इस्लामाबाद हाईकोर्ट की ओर से दिए गए गिरफ्तारी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज अपील दाखिल करने में नाकाम रहे। बीते 24 मार्च को करीब चार साल के आत्मनिर्वासन के बाद पाकिस्तान लौटे मुशर्रफ फिलहाल इस्लामाबाद के बाहरी इलाके चक शहजाद स्थित अपने फार्महाउस में हैं। फार्महाउस पर बड़ी संख्या में पुलिस बल पहुंच चुका है।
69 वर्षीय मुशर्रफ अपनी अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग को लेकर सुबह इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पेश हुए थे। मुशर्रफ को जब तक पुलिस गिरफ्तार कर पाती, इससे पहले ही उनके अंगरक्षक तेजी दिखाते हुए उन्हें वहां से निकाल ले गए। उनके अंगरक्षक दस्ते में सभी कमांडो थे। न्यायमूर्ति शौकत अजीज ने मुशर्रफ की जमानत बढ़ाने के अनुरोध वाली याचिका खारिज करते हुए उन्हें तत्काल गिरफ्तार करने का पुलिस को आदेश दिया। जब पुलिस ने पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ तक पहुंचने का प्रयास किया तो उनके अंगरक्षकों ने उन्हें तेजी से अदालत कक्ष से बाहर निकालकर उन्हें उनके एसयूवी वाहन में बैठा दिया। पुलिस जब तक कोई कार्रवाई कर पाती, मुशर्रफ का काफिला वहां से रवाना हो चुका था।
जानकारों का कहना है कि यह घटनाक्रम सेना और न्यायपालिका के बीच टकराव पैदा कर सकता है क्योंकि सेना अपने पूर्व प्रमुख को सार्वजनिक रूप से अपमानित होते नहीं देखना चाहेगी।
मुशर्रफ की आसन्न गिरफ्तारी के मद्देनजर उनकी पार्टी आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के एक वरिष्ठ नेता मोहम्मद अमजद ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों का एक दल अदालत के आदेशों पर गौर कर रहा है। अमजद ने कहा कि मुशर्रफ कानून के तहत कदम उठाएंगे और यदि कानूनी विशेषज्ञों ने जरूरी समझा तो वह अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे। मुशर्रफ के फार्महाउस लौटने के तत्काल बाद उनकी सुरक्षा में तैनात पाकिस्तान रेंजर्स की एक टुकड़ी उनके आवास से रवाना हो गई। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह इस बात का संकेत है कि सुरक्षा प्रतिष्ठान मुशर्रफ का समर्थन नहीं करेगा।
सूत्रों ने बताया कि सरकार मुशर्रफ के फार्महाउस को ‘उप जेल’ घोषित करने के एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है ताकि उन्हें उनके आवास पर नजरबंद रखा जा सके। अधिकारियों का मानना है कि मुशर्रफ की जान को गंभीर खतरा होने के मद्देजनर उन्हें उनके फार्महाउस में बंद रखना बेहतर होगा। उधर, मुशर्रफ के वकील आज सुप्रीम कोर्ट में उनकी गिरफ्तारी के आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं कर सके क्योंकि अदालत बंद से होने से पूर्व उनकी ओर से औपचारिकताएं पूरी नहीं हुईं। वर्ष 2007 में न्यायाधीशों को हिरासत में लिये जाने के एक मामले में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में गत सप्ताह आत्मसमर्पण किया था जिसके बाद हाईकोर्ट ने उन्हें छह दिन की अंतरिम जमानत प्रदान की थी। उसी अदालत ने उससे पहले इस मामले में उन्हें ‘भगोड़ा’ घोषित किया था। सुनवायी के दौरान डिप्टी अटॉर्नी जनरल तारिक महमूद जहांगीर ने अदालत को बताया कि मुशर्रफ को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों का सहयोग करेंगे।
न्यायमूर्ति सिद्दिकी ने कहा कि मुशर्रफ पर न्यायिक प्रणाली नष्ट करने के आरोप हैं और जांच में सहयोग करने को बाध्य हैं। तब जांच अधिकारी ने न्यायाधीश को बताया कि मुशर्रफ ना तो पुलिस थाने आये और ना ही जांच में कोई सहयोग ही किया। जांच अधिकारी ने कहा कि मुशर्रफ ने एक संदेश भेजा था कि उन्हें जो कुछ भी कहना है वह अदालत में कहेंगे। मुशर्रफ के खिलाफ मामला अगस्त 2009 में एक वकील चौधरी मोहम्मद असलम घुम्मन की ओर से दर्ज करायी गई एक प्राथमिकी पर आधारित है। घुम्मन ने पुलिस से कहा था कि तीन नवम्बर 2007 को आपातकाल लगाने और उसके बाद सुप्रीम कार्ट के चीफ जस्टिस इफ्तेखार चौधरी सहित 60 न्यायाधीशों को हिरासत में रखने के लिए मुशर्रफ के खिलाफ मामला चलाया जाए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 18, 2013, 11:29