Last Updated: Thursday, January 19, 2012, 03:36
ज़ी न्यूज ब्यूरो इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ न्यायालय की अवमानना के मामले की सुनवाई एक फरवरी तक स्थगित कर दी। अगली सुनवाई अब एक फरवरी को होगी और इस सुनवाई के दौरान गिलानी को पेश होना जरूरी नहीं होगा। इससे पहले कोर्ट पहुंचने के बाद करीब 10 मिनट तक दर्ज कराये अपने बयान में गिलानी ने कहा कि वह न्यायपालिका का सम्मान करते हैं । वह पहले भी अदालत के सामने पेश हो चुके हैं और सजा काट चुके हैं। गिलानी के साथ पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी के कई नेता भी सुप्रीम कोर्ट में थे। कोर्ट के इर्द-गिर्द सुरक्षा चौकस कर दी गई थी।
भ्रष्टाचार मामले में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ कार्रवाई के अदालती निर्देश पर कार्रवाई न करने पर गिलानी को यह नोटिस जारी किया गया था। गुरुवार को वह अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। गिलानी ने अदालत से कहा कि देश का संविधान राष्ट्रपति को छूट देता है।
गिलानी ने कहा कि उन्होंने जेल में छह साल बिताए हैं और कभी भी अदालत में पेश होने से इनकार नहीं किया है, जो बताता है कि उन्होंने हमेशा अदालत का सम्मान किया है। अदालत राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) के तहत बंद कर दिए गए मामलों को दोबारा खोलना चाहती थी। उसने सरकार को स्विस अधिकारियों को एक पत्र भेजकर राष्ट्रपति के खिलाफ मामले दोबारा शुरू करने को कहने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने इसके लिए सात दिन का समय दिया था और 16 जनवरी को यह अवधि समाप्त हो गई। जरदारी भ्रष्टाचार के मामले में अभियुक्त हैं। उन्हें 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने एनआरओ के तहत छूट दे दी थी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो व उनके पति जरदारी की वापसी को आसान बनाने के लिए माफी दे दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 में एनआरओ को निरस्त कर दिया था।
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी अवमानना के नोटिस पर गिलानी झुकेंगे नहीं। सत्ता पर काबिज पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने यह फैसला किया है कि गिलानी कोर्ट से माफी नहीं मांगेंगे। पार्टी ने यह भी तय किया है कि गिलानी स्विट्जरलैंड सरकार को जरदारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई चिट्ठी भी नहीं लिखेंगे। गिलानी के वकील एतजाज एहसान उनका पक्ष रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी दिए गए नोटिस में उनसे पूछा गया था कि भ्रष्टाचार के मामलों को नए सिरे से खोलकर जांच और कार्रवाई न करने के लिए क्यों न उन पर अदालत की अवमानना का दोषी माना जाए? गिलानी के वकील एतजाज एहसान का कहना है कि पाकिस्तान के संविधान की धारा 242 (2) के तहत पाकिस्तान के राष्ट्रपति पर न तो पाकिस्तान में और न ही दुनिया की किसी भी अदालत में मुकदमा चलाया जा सकता है। उन पर मुकदमा तभी चल सकता है, जब वे पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद पर न रहें। अगर सुप्रीम कोर्ट गिलानी के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ तो उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ सकता है और जेल भी जाना पड़ सकता है।
इससे पहले पाकिस्तान दौरे पर आए भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल से बुधवार शाम मुलाकात के दौरान सांसदों ने गिलानी से कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आपको शांति पुरूष कहा था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, गिलानी ने इसके जवाब में कहा कि पाकिस्तान की राजनीति के संदर्भ में वह संकट पुरुष बने हुए हैं।
First Published: Friday, January 20, 2012, 12:13