गुरूद्वारा गोलीकांड: हमलावर की पूर्व प्रेमिका गिरफ्तार

गुरूद्वारा गोलीकांड: हमलावर की पूर्व प्रेमिका गिरफ्तार

ओक क्रीक/वाशिंगटन : विस्कोन्सिन के गुरूद्वारे में हुए गोलीबारी कांड में आज एक नया मोड़ तब आ गया जब पुलिस ने हमलावर की पूर्व प्रेमिका के घर से हथियार मिलने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया है। इस हमले में छह लोग मारे गए थे। लेकिन अभी भी जांचकर्ता श्वेतों की श्रेष्ठता मानने वाले ‘नव-नाजी’ हमलावर की मंशा से अनभिज्ञ हैं ।

हमलावर वेड माइकल पेज की पूर्व प्रेमिका मिस्टी कुक को हथियार रखने के मामले में एफबीआई और साउथ मिलवाउकी पुलिस विभाग ने एक संयुक्त जांच के दौरान गिरफ्तार किया है। हमलावर की पूर्व प्रेमिका कुक एक वेटरेस और नर्सिंग की छात्रा है। उसके श्वेतों की श्रेष्ठता मानने वाले नस्ली उन्मादियों का संगठन से जुड़े होने की सूचनाएं हैं। 31 वर्षीय कुक को गिरफ्तार करने के बाद मिलवाउकी पुलिस ने एक बयान में कहा, उसके खिलाफ आरोप मिलवाउकी काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस के माध्यम से लगाई जाएगी।

एबीसी न्यूज के अनुसार संघीय कानून अधिकारी का कहना है कि पहले से किसी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद कुक को हथियार रखने की मनाही थी। इसी कारण उसे हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कुक पर वर्ष 2002 में एक यातायात पुलिसकर्मी को धोखा देकर भागने का आरोप लगा था। रविवार को गुरूद्वारे में गोलीकांड करने वाले 41 वर्षीय पेज के साथ कुक का संबंध इस घटना के कुछ सप्ताह पहले ही टूटा था। इस हमले में छह लोग मारे गए थे। पुलिस ने कुक के घर की जांच के दौरान वहां से एक बंदूक बरामद की है लेकिन उनका कहना है कि इसका उपयोग गोलीबारी कांड में नहीं हुआ है। कुक पेज के साथ साउथ मिलिवाकी के दो अलग-अलग अपार्टमेंट में रही है।

संघीय एजेंसियों को अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि आखिर पूर्व सैनिक पेज ने यह गोलीबारी क्यों की और इसके पीछै उसकी मंशा क्या थी । गोलीबारी के बाद पुलिस ने पेज को मार गिराया था । गुरूद्वारे में हुई गोलीबारी की घटना की जांच के कई दिन बाद भी संघीय एजेंसियों का कहना है कि उन्हें इसके पीछे के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पायी है ।

एजेंसियों को अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि किस वजह से पूर्व सैनिक ने गोलीबारी की इस भयंकर घटना को अंजाम दिया । उन्हें डर है कि घटना के पीछे का कारण भी हमलावर की मौत के साथ ही समाप्त हो गया । मिलवाउकी गुरूद्वारे में गोलीबारी की घटना के बाद पुलिस ने 41 वर्षीय पूर्व सैनिक वेड माइकल को मार गिराया था ।

एजेंसियों का कहना है कि अब शायद घटना के पीछे की वजह के बारे में कभी पता नही चल पाएगा । ‘सीएनएन’ के मुताबिक ओक क्रीक के पुलिस प्रमुख जॉन एडवर्डस का कहना है, अंत में शायद हमारे पास इस बारे में बहुत सारे तथ्य हों कि वह किन चीजों से जुड़ा हुआ था, वह किसके साथ जुड़ा हुआ था, लेकिन शायद हम उसकी मंशा के बारे में कभी जान नहीं सकेंगे, क्योंकि वह मर गया है, और मंशा भी उसके साथ ही मर गई है। जांचकर्ता विभिन्न राज्यों में इससे जुड़े तारों को खंगाल रहे हैं लेकिन मीडिया में आयी खबरों के अनुसार कानून विशेषज्ञों का मानना है कि उन्हें इन तथ्यों को अदालत में पेश करने का मौका नहीं मिलेगा।
फिलहाल, हमलावर के घर, परिवार, दोस्तों, व्यक्तिगत आंकड़े, उसके पुराने आपराधिक रेकॉर्ड आदि के बारे में पता किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि एफबीआई इस पूरे मामले की जांच की रही है लेकिन उसने बहुत कम जानकारी सार्वजनिक की है। एजेंसी अपनी इस जांच के दौरान नस्ली घृणा के पहलू के बारे में भी तहकीकात कर रही है।

यहां खास बात यह है कि अमेरिका के विस्कोन्सिन स्थित गुरूद्वारे में गोलीबारी करने वाला वेड माइकल पेज यहां के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के रेडार पर बिल्कुल नहीं था। अलबत्ता उस पर कुछ निजी समूह गुप्त रूप से नजर बनाए हुए थे।

अब यह स्पष्ट हो चुका है कि कम से कम दो निजी समूह ‘एंटी-डिफामेशन लीग’ और ‘साउथ पावर्टी लॉ सेंटर’ बीते कुछ साल से पेज की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे। ये समूह अतिवादी और नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों-संगठनों पर नजर रखते हैं। दूसरी ओर, एफबीआई को इस शख्स के खतरनाक मंसूबों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसका कहना है कि पेज उसके रेडार पर नहीं था।

फिलहाल, हमलावर के घर, परिवार, दोस्तों, व्यक्तिगत आंकड़े, उसके पुराने आपराधिक रेकॉर्ड आदि के बारे में पता किया जा रहा है । उल्लेखनीय है कि एफबीआई इस पूरे मामले की जांच की रही है लेकिन उसने बहुत कम जानकारी सार्वजनिक की है । एजेंसी अपनी इस जांच के दौरान नस्ली घृणा के पहलू के बारे में भी तहकीकात कर रही है।

यहां खास बात यह है कि अमेरिका के विस्कोन्सिन स्थित गुरूद्वारे में गोलीबारी करने वाला वेड माइकल पेज यहां के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के रेडार पर बिल्कुल नहीं था। अलबत्ता उस पर कुछ निजी समूह गुप्त रूप से नजर बनाए हुए थे।

अब यह स्पष्ट हो चुका है कि कम से कम दो निजी समूह ‘एंटी-डिफामेशन लीग’ और ‘साउथ पावर्टी लॉ सेंटर’ बीते कुछ साल से पेज की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे। ये समूह अतिवादी और नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों-संगठनों पर नजर रखते हैं। दूसरी ओर, एफबीआई को इस शख्स के खतरनाक मंसूबों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसका कहना है कि पेज उसके रेडार पर नहीं था।

एफबीआई के प्रवक्ता पॉल ब्रेसन ने कहा, आपराधिक गतिविधियों की जांच करने के साथ अमेरिकी नागरिकों की स्वतंत्रता का संतुलन बनाना हमारे लिए रोजाना एक चुनौती होती है। कोई कितना आक्रामक विचार व्यक्त करे, लेकिन वह हमारे लिए अपराध नहीं है।

उधर, ‘एंटी-डिफामेशन लीग’ की संयोजक मारिलीन मायो ने कहा, जब हम जानते हैं कि कोई अतिवादी हिंसक कार्रवाई के बारे में बात कर रहा है तो हम इसकी जानकारी यहां के न्याय विभाग के साथ साझा करते हैं। परंतु इस शख्स के बारे में हमने सोचा नहीं था कि वह इस तरह का कदम उठाने जा रहा है। अमेरिका में भारत की राजदूत निरुपमा राव ने विस्कोन्सिन के ओक क्रीक गुरूद्वारे में हुई गोलीबारी के पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर पूरी मदद का भरोसा दिया।

निरुपमा ओक क्रीक में पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने के साथ ही ओक क्रीक के मेयर स्टीव स्काफिदी से भी मिलीं। उन्हें एफबीआई और स्थानीय पुलिस के अधिकारियों ने घटना की जांच के बारे में जानकारी दी।

अधिकारियों ने भारतीय राजदूत को बताया कि यह घटना कैसे हुई और अब सिख समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। निरूपमा कल शाम यहां निकाले गए कैंडल मार्च में भी शमिल हुईं। कैंडल मार्च इस घटना में मारे गए लोगों के सम्मान में निकाला गया था।

वह गुरूद्वारा के अध्यक्ष दिवंगत सतवंत सिंह कालेका सहित सभी पीड़ितों के रिश्तेदारों से मिलीं। कालेका ने हमलावर को रोकने का प्रयास किया था और लोगों की जान बचाते हुए उनकी मौत हो गई थी। गोलीबारी की घटना में हमलावर सहित सात लोग मारे गए थे। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, August 8, 2012, 19:28

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