Last Updated: Saturday, December 29, 2012, 14:33

सिंगापुर : दिल्ली में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई 23 वर्षीय लड़की ने करीब एक पखवाड़े तक मृत्यु से संघर्ष करने के बाद आज यहां के एक अस्पताल में आखिरी सांस ले ली। इस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और क्रूरतापूर्वक हमले की घटना की वजह से पूरे भारत में लोगों का गुस्सा भड़क गया था और जगह जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे। लड़की को बृहस्पतिवार की सुबह सिंगापुर लाने के बाद अंग प्रतिरोपण की अत्याधुनिक सुविधाओं वाले ‘माउंट एलिजबेथ हॉस्पिटल’ में भर्ती कराया गया था।
अस्पताल से जारी एक बयान में कहा गया है कि पीड़ित ने आज सुबह स्थानीय समयानुसार चार बज कर 45 मिनट पर (भारतीय समयानुसार तड़के दो बज कर 15 मिनट पर) अंतिम सांस ली। जब उसे इस अस्पताल में लाया गया था तब उसकी हालत बहुत गंभीर थी। अस्पताल के प्रमुख कार्यपालक अधिकारी डॉ केविन लोह ने कहा ‘हमें यह सूचना देते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि मरीज का 29 दिसंबर 2012 की सुबह चार बज कर 45 मिनट पर (सिंगापुर के समयानुसार) निधन हो गया।’ लोह ने कहा ‘उसके परिवार के सदस्य और भारतीय उच्चायोग के अधिकारी उसके समीप मौजूद थे। दुख की इस घड़ी में माउंट एलिजबेथ हॉस्पिटल के डॉक्टर, नर्स और कर्मचारी उसके परिवार के साथ हैं।’
लड़की का पार्थिव शरीर सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल के शवगृह में भेज दिया गया है और उसे एक चार्टर्ड विमान से भारत भेजा जाएगा। समझा जाता है कि लड़की के शव और उसके परिजन को लेकर आज रात तक विमान दिल्ली पहुंच जाएगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई राजनीतिक नेताओं ने लड़की के निधन पर शोक जताया और उसे श्रद्धांजलि दी है।
इस लड़की के साथ दिल्ली में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और फिर उस पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया था। लड़की को गंभीर हालत में चलती बस से फेंक दिया गया था। घटना के विरोध में पूरे देश में जनाक्रोश भड़का और पीड़ित को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर जगह जगह प्रदर्शन किए गए। सरकार ने उसे हवाई एंबुलेन्स से सिंगापुर स्थित अंग प्रतिरोपण की अत्याधुनिक सुविधाओं वाले अस्पताल में इलाज के लिए भेजा।
यहां आने से पहले पीड़ित दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती थी जहां उसके तीन ऑपरेशन किए गए। वहां भी अधिकतर समय उसे वेन्टीलेटर पर ही रखा गया था। चोट और संक्रमण की वजह से डॉक्टरों ने उसकी आंत का बहुत बड़ा हिस्सा निकाल दिया था।
सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त टी सी ए राघवन ने यहां संवाददाताओं को बताया कि लड़की के अभिभावक और परिवार के अन्य सदस्य उसकी पार्थिव देह ले कर जाएंगे। राघवन ने कहा कि लड़की की पार्थिव देह के अंतिम संस्कार के बारे में उसके परिवार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि लड़की ने बहुत हिम्मत के साथ आखिरी सांस तक संघर्ष किया। उसे अच्छे इलाज के लिए सिंगापुर लाया गया था।
राघवन से पूछा गया कि क्या डॉक्टरों ने यह सोचा था कि दिल्ली से सिंगापुर ले जाते समय उसकी मौत हो सकती थी। इस पर राघवन ने कहा ‘मेरे सामने ऐसी कोई भावना जाहिर नहीं की गई थी। दोनों डॉक्टरों (सफदरजंग अस्पताल के पी के वर्मा और मेदान्ता मेडिसिटी के यतीन मेहता) ने कहा कि वह 16 दिसंबर की रात की घटना में बहुत बुरी तरह घायल हुई थी। ’ उन्होंने कहा कि दिल्ली में और सिंगापुर में लड़की का अच्छे से अच्छा इलाज किया गया और उसकी मौत का कारण वह चोटें थीं जो उसे हादसे के दौरान आईं।
राघवन ने कहा ‘उसकी चोटों के इलाज के लिए हरसंभव इलाज किया गया। लेकिन प्रयास नाकाम रहे और वह चोटों से उबर नहीं पाई।’ उसके परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी देने से इंकार करते हुए राघवन ने कहा कि उन्होंने (परिवार ने) यह अनुरोध किया है कि उनकी पहचान की गोपनीयता बनाए रखी जाए।
इस बीच माउंट एलिजबेथ अस्पताल ने कहा है ‘पीड़ित के आखिरी संघर्ष में उसके इलाज के लिए हमें मौका दिया गया जिसके लिए हम आभारी हैं। हम जानते हैं कि भारत सरकार और लड़की के परिजनों ने हम पर इस बात के लिए भरोसा किया कि माउंट एलिजबेथ अस्पताल में उसका अच्छे से अच्छा इलाज किया जाएगा।’ डॉ लोह ने कहा ‘उसके निधन पर हमें गहरा दुख है। दुख की इस घड़ी में उसके परिवार का साथ देने के लिए हम भारतीय उच्चायोग के साथ काम करेंगे।’ बीती रात अस्पताल ने कहा था कि लड़की की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है।
लोह ने एक बयान में कहा ‘रात करीब नौ बजे :भारतीय समयानुसार कल शाम छह बज कर तीस मिनट पर: मरीज की हालत बिगड़ने लगी थी। ऐसे संकेत मिलने लगे थे कि उसके शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर सकते हैं।’ मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कहा ‘उसे बचाने के लिए डॉक्टरों ने हरसंभव कोशिश की थी। उसे सर्वाधिक कृत्रिम ‘वेंटीलेशन सपोर्ट’ पर रखा गया था, जो जरूरी एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती थीं, उसे दी गईं और ऐसी हर कोशिश की गई जिससे संक्रमण से मुकाबला करने की उसकी शारीरिक क्षमता मजबूत हो सके।’ उन्होंने बताया ‘उसके परिवार के सदस्यों को सूचना दे दी गई थी कि उसकी हालत लगातार बिगड़ रही है। वह लोग उसके पास ही थे और उसका हौसला बढ़ा रहे थे।’ दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान लड़की की हालत में कई बार सुधार भी हुआ और वह बिगड़ी भी। हमले के तीन दिन बाद उसकी आंत भी गैंगरीन होने की वजह से निकाल दी गई थी।
लड़की और उसके मित्र पर चलती बस में हुए वहशियाना हमले को लेकर छात्रों और महिला कार्यकर्ताओं ने गत शनिवार और रविवार को जम कर विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। प्रदर्शनकारी आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग कर रहे थे और अब लड़की की मौत होने के बादद फिर से सड़कों पर भावनाओं का सैलाब उमड़ने की आशंका है।
दिल्ली पुलिस के एक सिपाही सुभाष चंद तोमर की मंगलवार को एक सरकारी अस्पताल में मौत हो गई थी। उसकी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि छाती और गर्दन पर चोट लगने के कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। लोगों के गुस्से को देखते हुए सरकार ने घटना की जांच के लिए एक जांच आयोग गठित किया और उच्चतम न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ए एस आनंद की अगुवाई में तीन सदस्यीय एक समिति गठित की जो यौन हमले से संबंधित कानूनों को फिर से तैयार करने और इसके लिए सजा कड़ी करने की संभावना पर गौर करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल इस क्रूर हमले के दोषियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई करने की मांग की जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कठघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बीच सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है ‘हमें यह जानकर बहुत दुख हुआ है कि लड़की की मौत हो गई है। हम इस दुखद समय में लड़की के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवदेना प्रकट करते हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, December 29, 2012, 08:45