Last Updated: Friday, November 18, 2011, 11:03
वाशिंगटन/इस्लामाबाद : पाकिस्तान के राष्ट्रपति की ओर से अमेरिका को भेजे गए कथित गोपनीय ज्ञापन पत्र से देश के शक्तिशाली जनरलों की भौंहें तन गई हैं और इससे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर भी दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में 2 मई को अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के तुरंत बाद लिखे गए इस पत्र में जरदारी ने पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट की आशंका को लेकर कथित तौर पर अमेरिका से मदद की गुहार लगाई थी। पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी कारोबारी मंसूर इजाज ने इस पत्र को तत्कालीन चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन को सौंपा था।
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी कारोबारी मंसूर इजाज ने कहा है कि अमेरिका में नियुक्त पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी ने ही उन्हें राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को एक गोपनीय पत्र पहुंचाने को कहा था। इजाज ने यह दावा कर पाकिस्तान के राजनीतिक और राजनयिक गलियारों में भूचाल ला दिया है।
इजाज ने डॉन अखबार को बताया कि हक्कानी वह अधिकारी थे जिन्होंने उन्हें यह ज्ञापन पत्र मुलेन को पहुंचाने को कहा था। उन्हें इस दस्तावेज में मौजूद तथ्यों का खुलासा करने की जरूरत महसूस हुई क्योंकि पाकिस्तानी मीडिया ने उनकी आलोचना की थी। इससे पहले उन्होंने बताया था कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के एक करीबी व्यक्ति ने जब उनसे इस बारे में सिफारिश की, तभी उन्होंने यह काम किया था। उन्होंने बताया कि 2 मई को अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद जरदारी को सेना द्वारा तख्तापलट किए जाने का अंदेशा था।
हालांकि हक्कानी इनकार कर चुके हैं कि उन्होंने इस ज्ञापन पत्र को तैयार करने या इसे भिजवाने में कोई भूमिका निभाई थी। जबकि इजाज ने कहा, ‘हां, राजदूत हुसैन हक्कानी, जिन्हें मैं पिछले 10 साल से अधिक समय से जानता हूं, ही पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक थे जिन्होंने मुझे इस संदेश को गुप्त रूप से एडमिरल मुलेन तक पहुंचाने में सहायता करने को कहा था।’
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 18, 2011, 16:33