Last Updated: Wednesday, February 20, 2013, 10:19
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीइस्लामाबाद: पाकिस्तान ने हरमुज की खाड़ी से होकर जाने वाले जहाजों के रास्ते में पड़ने वाले ग्वादर बंदरगाह का प्रबंधन चीन को सौंप दिया है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान का यह कदम भारत के हित में नहीं है। भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी छह फरवरी को कहा था कि पड़ोसी देश के बंदरगाह पर चीन का नियंत्रण चिंताजनक है।
बंदरगाह का काम पूरा होने के बाद चीन की नौसेना इसका इस्तेमाल कर सकेगी जो भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए कतई ठीक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अरब सागर में स्थित ग्वादर बंदरगाह के विकास पर आने वाले 24 करोड़ 80 लाख डालर के खर्च का 80 फीसदी हिस्सा चीन देगा। इस क्षेत्र में पाकिस्तान से पश्चिमी चीन तक ऊर्जा एवं खाड़ी देशों से व्यापार के लिए कारिडोर खोलने की योजना है।
ग्वादर बंदरगाह का चीन के लिये विशेष महत्व है। क्योंकि उसका 60 प्रतिशत तेल खाड़ी देशों से आता है जो कि इस बंदरगाह के नजदीक पड़ता है। चीन ने इस बदंरगाह के निर्माण के लिये शुरुआत में 75 प्रतिशत धन उपलब्ध कराया। बंदरगाह के निर्माण पर 25 करोड़ डालर का खर्च आया। पाकिस्तान सरकार ने 30 जनवरी को ग्वादर बंदरगाह के प्रबंधन का अधिकार सिंगापुर से चीन को हस्तांतरित किया। यह अरब सागर और फारस की खाड़ी के हिसाब से महतवपूर्ण स्थिति में है और वैश्विक तेल आपूर्ति के सबसे व्यस्त मार्ग हामरुज जल डमरु से करीब 400 किलोमीटर ही दूर है।
गौरतलब है कि चीन ने भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका के हंबनटोटा और बांग्लादेश के चटगांव में भी बंदरगाहों के निर्माण में वित्तीय मदद दी है।
First Published: Tuesday, February 19, 2013, 10:09