Last Updated: Tuesday, December 18, 2012, 00:12
वाशिंगटन : भारतीय मूल के एक प्रतिष्ठित अमेरिकी प्रोफेसर ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के खिलाफ भारत को मजबूत प्रतिक्रिया करनी चाहिए।
प्रतिष्ठित डेनवर विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर वेद नंदा ने कहा, ‘‘भारत को दक्षिण चीन सागर के ज्यादातर हिस्सों पर बेरोक-टोक संप्रभुता के चीन के दावे पर प्रतिक्रिया जताने की आवश्यकता है..’’ नंदा ने कहा, ‘‘मैं सलाह दूंगा कि भारत को क्षेत्र में लाइट स्क्वाड्रन भेजना चाहिए और स्वाभाविक रूप से अपने मुख्य बेड़े को रिजर्व में रखना चाहिए।’’ उन्होंने ‘फाउंडेशन फार इंडिया ऐंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ 9एफआईआईडीएस) की ओर से ‘‘भारत चीन रिश्तों ’’ पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा, ‘‘आज चीन भारत को एशिया में अपना प्रतिस्पर्धी और प्रतियोगी मानता है।’’ अमेरिकी प्रोफेसर ने दक्षिणी चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भारत को चीन के खिलाफ बहुत मजबूती से पेश आने की जरूरत है।’’
नंदा ने कहा कि भारत के पास दूसरों को आकषिर्त करने और सहयोजित करने के लिए अपने ‘सॉफ्ट पावर’ को बुलंद करने की क्षमता है। इसलिए वह चीन या अपने पड़ोस में किसी अन्य देश की तुलना में अपनी जीवंत उपस्थिति रखने की ज्यादा अनुकूल स्थिति में है। नंदा ने कहा कि पासपोर्ट मुद्दे पर भारत नहीं झुका और उसका यह कदम सराहनीय है।
सीआईए के पूर्व उप राष्ट्रीय निदेशक ग्लेन कार्ल ने कहा कि दो देशों के बीच रिश्तों के भविष्य तय करने में आर्थिक नीतियां बहुत अहम साबित होती हैं। अमेरिका में भारत के उपराजदूत अरूण के सिंह ने पिछले 50 साल में अपने विवाद हल करने में भारत और चीन की प्रगति रेखांकित की।
सिंह ने कहा कि भारत और चीन दोनों देशों के लिए एशिया और विश्व में विकास करने के लिए पर्याप्त अवसर हैं और मिल कर काम करना दोनों के लिए परस्पर लाभदायक है। उन्होंने कहा कि दोनों देश एशियाई सुरक्षा संधि विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 18, 2012, 00:12