Last Updated: Monday, October 31, 2011, 10:03
टोक्यो: जापान ने कहा है कि चीन की सेना की बढ़ती आक्रमकता के मद्देनजर उसे समुद्र के नियमों का पालन करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए एशियाई देशों को मिलजुल कर काम करना चाहिए।
जापान के प्रधानमंत्री योशीको नोदा ने फिनांशियल टाइम्स से यह बात कही। नोदा की यह टिप्पणी दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में बढ़ते तनाव के मद्देनजर आई है। इस क्षेत्र में कई देश अपना अधिकार क्षेत्र होने का दावा कर रहे हैं।
उन्होंने अखबार से कहा कि हम नियमों का पालन कराने के लिए चीन के साथ सभी तरह की बैठक करने की अपील करेंगे। नोदा ने दो महीने पहले ही अपना पदभार ग्रहण किया है। उन्होंने बीजिंग से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जिम्मेदार सदस्य के रूप में काम करने की अपील की।
सितंबर में वह भी जापान के उन प्रमुख लोगों में शामिल हो गए, जिन्होंने चीनी सेना का तीव्रता से आधुनिकीकरण किए जाने पर चिंता जताई थी। इस साल के शुरूआत में चीन ने अपने सैन्य खर्च में 12. 7 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी।
वहीं, चीन ने अपने अत्याधुनिक मिसाइल, उपग्रह, साइबर हथियार और लड़ाकू विमानों पर जताई जा रही आशंकाओं को कथित तौर पर कम करने की कोशिश करते हुए कहा है कि उसकी नीति रक्षात्मक प्रकृति की है। जारी पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर पर चीन अपने दावे को और मजबूत करता जा रहा है।
वहां अधिकांश जल क्षेत्र को वह अपना समुद्री क्षेत्र मानता है। माना जा रहा है कि इस जल क्षेत्र में तेल एवं गैस के प्रचुर भंडार हैं तथा इस क्षेत्र में समुद्री मार्ग पूर्वी एशिया को यूरोप और मध्य पूर्व से जोड़ते हैं।
इस इलाके को लंबे समय से एशिया का संभावित सामरिक क्षेत्र माना जाता रहा है और 1998 में वियतनाम एवं चीन के बीच एक संक्षिप्त नौसिक लड़ाई भी हुई थी, जिसमें 50 वियतनामी नाविक मारे गए थे।
ऐतिहासिक विवादों को लेकर तोक्यो और बीजिंग में अक्सर तकरार होती रहती है। दोनों देशों के बीच सितंबर 2010 में पूर्वी चीन सागर के विवादास्पद द्वीप को लेकर राजनयिक स्तर पर बहस भी हुई थी।
(एजेंसी)
First Published: Monday, October 31, 2011, 15:33