Last Updated: Saturday, June 2, 2012, 20:34
सिंगापुर : भारत ने आज चीन के सैन्य खर्चों में वृद्धि को लेकर चिंता जतायी लेकिन साथ ही कहा कि वह चीन को खतरा नहीं मानता। रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने यहां आयोजित एक सुरक्षा सम्मेलन में कहा, चीन ने अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ा ली हैं और रक्षा पर खर्च में और वृद्धि की है।
एंटनी ने कहा, हम इसे लेकर चिंतित हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, हालांकि भारत हथियारों की होड़ में विश्वास नहीं करता लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हम भी अपने तरीके से अपनी सीमाओं पर अपनी सैन्य क्षमताओं मजबूत कर रहे हैं।
एंटनी ने कहा कि भारत चीन के साथ स्थिर संबंध चाहता है और दोनों देशों ने सैन्य सहयोग शुरू कर दिया है।
सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर से संबंधित हालिया घटनाक्रम चर्चा के केंद्र में रहे। सम्मेलन के दौरान एंटनी ने कहा, हमारे बीच सेना के स्तर पर संपर्क है। अब हमने अपनी नौसेनाओं के बीच भी संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया है। भारत की तरह जापान ने भी चीन के रक्षा खर्चों में हो रहे भारी वृद्धि पर चिंता जताते हुए कहा कि चीन के रक्षा खर्चों के मुद्दे पर पारदर्शिता का अभाव है और इससे संबंधित गोपनीयता खतरनाक है। चीन का सैन्य बजट इस साल 11 प्रतिशत बढ़कर 106 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।
अशांत पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता का समर्थन करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, भारत पश्चिम एशिया में चल रही समस्या का टकराव या अस्थिरता के जरिए समाधान करने में विश्वास नहीं करता। शिखर सम्मेलन में सवालों के जवाब में एंटनी ने कहा कि भारत पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता बरकरार रहते देखना चाहेगा।
उन्होंने कहा, हमारा प्रयास क्षेत्र के देशों के साथ करीबी संबंध विकसित करना है क्योंकि भारतीय मूल के करीब 60 लाख लोग वहां रहते हैं। हमारी उर्जा जरूरतों की करीब 80 फीसदी की पूर्ति वहां से होती है। करीब 20 फीसदी तेल की आपूर्ति सउदी अरब से होती है जबकि 12 फीसदी ईरान से होती है। अफगानिस्तान के संबंध में एक सवाल पर एंटनी ने कहा कि भारत वहां से 2014 में अमेरिकी सैनिकों को हटाए जाने के बाद उपजने वाले हालात को लेकर चिंतित है।
उन्होंने कहा, नयी दिल्ली खासतौर पर 2014 के बाद अफगानिस्तान के भविष्य के बारे में चिंतित है। भारत अफगानिस्तान को उसके सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में मदद कर रहा है और अफगान जनता की शांति और खुशहाली की कामना करता है। उन्होंने कहा कि वहां पर सारी राजनैतिक प्रक्रिया समावेशी, पारदर्शी और उसके अपने लोगों के सहारे होनी चाहिए। शिखर सम्मेलन से इतर एंटनी ने श्रीलंका के विदेश मंत्री जी एल पीरिस और उप रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल हग्यूबे ची विन्ह से पूर्वाह्न में चर्चा की। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 2, 2012, 20:34