'चीन को प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता है भारत' - Zee News हिंदी

'चीन को प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता है भारत'



बीजिंग : चीन ने भारत-चीन सीमा पर रक्षा आधारभूत ढांचे को व्यापक रूप से उन्नत बनाने के भारत की योजना को एक अहम कदम करार देते हुए गुरुवार को कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पड़ोसी देश ने चीन को अपने वस्तुत: प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखना शुरू कर दिया है।

 

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने इस कदम को भारत की ओर से अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को पुनर्स्‍थापित करना करार देते हुए कहा कि वर्ष 1962 के संघर्ष के बाद भारत-चीन सीमा पर यह सबसे बड़ी तैनाती होगी।

 

पीएलए ने भारत की ओर से रक्षा आधारभूत ढांचे को उन्नत बनाए जाने की रिपोर्टों पर पहली बार प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि चीन से लगती सीमा पर चार नए डिविजन खड़े करने के लिए भारत की योजना पांच वर्ष के भीतर 90 हजार और सैनिक तैनात करने की है। चीन के सैन्य दैनिक समाचार पत्र ‘पीएलए डेली’ ने यह भी कहा कि भारत अपनी वायुसेना के लिए एक नया लड़ाकू विमान चुनने के अंतिम चरण में है। इस संधि को विश्व का सबसे बड़ा रक्षा सौदा करार दिया जा रहा है।

 

समाचार पत्र ने भारत की अक्‍टूबर में चीन के खिलाफ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल तैनात करने के निर्णय के बारे में कहा कि ऐसा पहली बार है जब उसने आक्रामक सामरिक मिसाइल के साथ ऐसा कदम उठाया है। पीएलए डेली ने कहा कि भारत इसके साथ ही जापान के साथ संयुक्त वायु एवं नौसैन्य अभ्‍यास के लिए आगे बढ़ रहा है। इसका खुलासा रक्षा मंत्री एके एंटनी ने गत सप्ताह अपनी जापान यात्रा के दौरान किया था। इसमें कहा गया है कि भारत, अमेरिका और जापान के बीच त्रिपक्षीय वार्ता प्रस्ताव के संबंध में चर्चा हो रही है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि इसका उद्देश्य चीन पर निगरानी करना है।

 

चीन ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। पीएलए डेली ने कहा कि भारत के सैन्य उद्देश्य की बजाय राजनीतिक अधिक हैं। इसमें कहा गया है, चीन ने हमेशा ही शांतिपूर्ण विकास की नीति का पालन किया है। लेकिन कुछ देशों ने इसका गलत अर्थ बढ़ते खतरे के रूप में निकाला।

 

भारत और चीन के बीच रक्षा संबंध एक बार फिर से पटरी पर आ गए हैं और चीनी सेना का एक प्रतिनिधिमंडल देश की यात्रा पर आया और द्विपक्षीय आदान प्रदान को बढ़ावा देने के लिये सेना के शीर्ष अधिकारियों से बात की है।

 

उधर, सैन्य अधिकारियों ने यहां बताया कि चेंगदू सैन्य क्षेत्र के तिब्बत सैन्य कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल लांग योउलिआंग के नेतृत्व में जनवादी मुक्ति सेना (पीएलए) के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय सेना के विभिन्न प्रतिष्ठानों का दौरा किया और तीन से नौ नवंबर तक की अपनी यात्रा के दौरान अपने समकक्ष अधिकारियों से चर्चा की।

 

उन्होंने कहा कि पीएलए के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से दोनों देशों के बीच रक्षा आदान प्रदान फिर से पटरी पर आ गया है। दोनों पक्षों ने आगे भी द्विपक्षीय रक्षा आदान-प्रदान को बढ़ाने की इच्छा जताई और माना कि सीमा पर सैनिकों के बीच शांति बनी रहनी चाहिए। पीएलए के प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली, कोलकाता और मुंबई की यात्रा की और वहां के प्रतिष्ठानों का दौरा किया।

(एजेंसी)

First Published: Thursday, November 10, 2011, 20:19

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