Last Updated: Wednesday, August 21, 2013, 18:40

बीजिंग : सीमा पर चीनी सेना का अतिक्रमण जारी रहने पर भारत ने चीन को सावधान किया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन में खलल पड़ने से द्विपक्षीय संबंध का पूरा माहौल बिगड़ सकता है। चीन में भारत के राजदून एस जयशंकर ने यहां भारत चीन संबंध पर एक संगोष्ठी में इस बात पर बल दिया कि सीमा पर किसी भी खलल का ‘लोगों की धारणा’ पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा जबकि यह द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए अहम है।
‘पुराने संबंध-नये मॉडल’ शीर्षक पर आयोजित इस संगोष्ठी में उन्होंने कहा, आज की तारीख में, संघर्ष या टकराव पर असहज स्थिति पैदा होना निश्चित है। ऐसे में भारत और चीन के बीच विवादित सीमा पर शांति एवं अमन बनाए रखने पर बल दिया गया है। नयी दिल्ली के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और चीन के विदेश मामले विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त को यह संगोष्ठी आयोजित की थी जिसमें दोनों पक्षों के रणनीतिक विश्लेषकों ने हिस्सा लिया था। संगोष्ठी से मीडिया को दूर रखा गया था। आज ही जयशंकर के भाषण की प्रतियां मीडिया में वितरित की गयी। जयशंकर ने दर्शकों को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री ए के एंटनी का वह बयान याद दिलाया जिसमें उन्होंने सीमा पर शांति के महत्व पर बल दिया था।
इस साल अप्रैल में लद्दाख के समीप दौलत बेग ओल्डी इलाके से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों की वापसी के लिए चीनियों के साथ गहन बातचीत करने वाले जयशंकर ने कहा कि इस बात की चिंता है कि यदि स्थायित्व तथा शांति एवं अमन में खलल डाला गया तो इससे हमारे संबंधों का संपूर्ण माहौल बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा, हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ढ़ालने में जन अवधारणा के महत्व कभी भी को कम कर नहीं देखना चाहिए। कहा जाता है कि दोनों देशों को इन पहलुओं को मजबूत करने के लिए अधिक ध्यान एवं उर्जा लगाने की जरूरत है। भारतीय राजदूत ने कहा कि ब्रह्मपुत्र एवं अन्य जो नदियों चीन से भारत में जाती हैं उन पर नये बांध बनाने की अपनी योजना के बारे में भारत की चिंता का समाधान करना चीन के लिए महत्वपूर्ण है ।
जयशंकर ने कहा कि भारतीय उत्पाद की चीनी बाजार तक पहुंच के बारे में भारत की चिंता का भी चीन को समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा, चीन में बाजार तक पहुंच के बारे में भारतीय चिंता का समाधान करने से वाकई ज्यादा टिकाउ आधार तैयार करने में मदद मिल सकती है और यह आधार स्पष्ट रूप से दोनों के लिए लाभकारी है। उधर भारत की ओर से , चीनी निवेश पर वस्तुनिष्ठ तरीके से गौर करने की जरूरत है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 21, 2013, 18:09