Last Updated: Monday, November 28, 2011, 11:09
बीजिंग : चीन की सेना और एक सरकारी एअरलाइन ने संयुक्त रूप से भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत के नगारी शहर तथा पाक अधिकृत कश्मीर के पास शिनजियांग प्रांत में काशगर को पहली बार प्रायोगिक उड़ान से जोड़ा।
सरकारी संवाद समिति शिंहुआ ने बताया कि पिछले शुक्रवार को यह परिचालन किया गया। इसकी सफलता से अब अवकाश ग्रहण करने वाले सैनिकों को सड़क के रास्ते उनके पैत्रक निवास पहुंचाने की दशकों पुरानी परंपरा का अंत हो जायेगा।
दोनों शहर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। नगारी में भारत और नेपाल की सीमा के पास कैलाश पर्वत है तो काशगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के करीब है। इन दोनों जगहों से कई बार खराब मौसम में सैनिकों की आवाजाही में दिक्कत आती थी।
नगारी इलाके में अक्साई चीन का हिस्सा भी आता है जिस पर चीन ने 1962 की लडाई में कब्जा कर लिया था। छिंगहाए-तिब्बत पठार पर स्थित इस शहर तक जाड़ों में पहुंचना कठिन है। वहां अक्सर बर्फीले तूफान हिमस्खलन और भूस्खलन का खतरा बना रहता है।
इस पहले प्रायोगिक उड़ान की सफलता से पीएलए जाड़े की मौसम में सैनिकों को लाने ले जाने का काम कर सकेगा। चीन ने पिछले साल 242 अरब डॉलर की लागत से नगारी हवाई अड्डे का निर्माण किया जिसे गुंसा हवाई अड्डा भी कहा जाता है। यह समुद्र के स्तर से 4200 मीटर उंचाई पर है और उसका रनवे 4500 मीटर है।
तिब्बत में बनाया गया चीन का यह पांचवा हवाईअड्डा है। इसे पिछले साल परिचालन के लिए खोला गया। यह माउंट कैला और मानसरोवर तक वायु मार्ग से पहली पहुंच भी सुलभ करायेगा। हिन्दुओं के लिए ये दोनों स्थान धार्मिक महत्व के हैं। उड़ान के पायलट सुन शूएसांग ने इस उडान को चीन के नागर विमानन उद्योग की ऐतिहासिक महत्व की उड़ान बताया।
(एजेंसी)
First Published: Monday, November 28, 2011, 17:34