Last Updated: Thursday, March 28, 2013, 15:18

डरबन : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन के नए राष्ट्रपति शी चिनफिंग से अपनी मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों के महत्व पर जोर दिया और इसके साथ ही चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन बांध बनाए जाने की योजना का मुद्दा भी उठाया।
मनमोहन सिंह ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति शी से मुलाकात की। दोनों नेता यहां सम्मेलन में भाग लेने आए हैं। शी ने इस महीने के शुरू में राष्ट्रपति के रूप में चीन की कमान संभाली थी।
चीन में हाल में सत्ता के बदलाव के बाद दोनों नेताओं के बीच सर्वोच्च स्तर की यह पहली आमने सामने की मुलाकात है। सिंह ने कहा कि चीन के साथ द्विपक्षीय रिश्ते का बहुत महत्व है। भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर बीते एक दशक के दौरान चीन के नेतृत्व के साथ नियमित तौर पर संवाद करना मेरा सौभाग्य रहा है। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि आपके साथ एवं चीन के नए नेतृत्व के साथ इस तरह का संवाद और संपर्क हमारे संबंध को अधिक ऊंचे स्तर पर ले जाएगा। चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ और पूर्व प्रधानमंत्री वेन च्याबो ने सिंह के साथ बीते कुछ वर्षों में 14 बार मुलाकात की थी। ये मुलाकातें ब्रिक्स और दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों से इतर हुईं।
शी ने भारतीय प्रधानमंत्री को एक राजनेता करार दिया और कहा कि वी चीन-भारत संबंधों को बेहतर बनाने के लिए बहुत कुछ योगदान देंगे। चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि वह भारत के साथ रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए काम करना जारी रखना चाहेंगे। मनमोहन सिंह और शी के बीच ब्रिक्स सम्मेलन के बाद 25 मिनट तक बैठक चली। इस बैठक के बाद आधिकारिक सूत्रों ने संक्षिप्त रूप से कहा कि पानी पर चर्चा की गई। समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने चीनी राष्ट्रपति को ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन बांध बनाए जाने के चीनी प्रस्ताव को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया।
भारत कह चुका है कि प्रस्ताव से भारत आने वाले पानी के प्रवाह पर असर पड़ेगा, जबकि चीन का कहना है कि यह कोई ऐसी परियोजना नहीं है जिससे पानी रुकेगा। सूत्रों ने बताया कि द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक चर्चा हुई और मुलाकात बहुत सकारात्मक थी। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति सम्मान व्यक्त किया। सूत्रों ने कहा कि संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई, लेकिन दक्षिण चीन के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। यह पूछे जाने पर कि क्या सीमा और व्यापार मुद्दे पर चर्चा हुई, सूत्रों ने उल्लेख किया कि द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। दोनों ने अपने संबंधों को जारी रखने की इच्छा जताई।
सूत्रों ने बताया कि इसके पूर्व दिन में शिखर सम्मेलन में एक अनौपचारिक चर्चा के दौरान राष्ट्रपति शी ने मनमोहन से कहा कि वह इस बात को जानते हैं कि पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ और चीनी प्रधानमंत्री वेन च्याबो के साथ उनके अच्छे संबंध थे। शी ने कहा कि वह इन संबंधों को आगे ले जाना चाहेंगे। पिछले हफ्ते बीजिंग में ब्रिक्स देशों के पत्रकारों के साथ बातचीत में शी ने कहा था कि वह डरबन में मनमोहन से मिलने के लिए उत्सुक हैं। शी ने भारत के साथ संबंधों को लेकर गर्मजोशी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया था और पांच सूत्री फॉर्मूला प्रस्तावित किया था, जिसके तहत दोनों देश मुख्य हितों के संबंध में एक-दूसरे की चिंताओं का ध्यान रखेंगे। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और सेना के मुखिया की भी भूमिका संभालने वाले शी ने कहा था कि इतिहास ने सीमा का मुद्दा जटिल बना कर रख छोड़ा है और शांति कायम रखी जानी चाहिए। लंबित मुद्दे के समाधान तक दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास में मतभेदों को आड़े नहीं आने देना चाहिए।
मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी को भारत आने का न्योता दिया। इस पर शी ने कहा कि वह इसे स्वीकार करते हैं और उचित समय पर भारत की यात्रा करेंगे। इसी तरह, शी ने मनमोहन को चीन आने का निमंत्रण दिया और उन्होंने भी इसे स्वीकार कर लिया। मनमोहन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन थे और शी के साथ उनके नए विदेश मंत्री, दो पोलित ब्यूरो सदस्य और स्टेट काउंसलर यांग जीची थे। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 28, 2013, 09:02