Last Updated: Friday, March 2, 2012, 07:43
वॉशिंगटन : अमेरिका के भारत के साथ संबंध मजबूत हो रहे हैं लेकिन इनमें चुनौतियां भी कम नहीं हैं क्योंकि नई दिल्ली अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के प्रयासों के साथ साथ दूसरे देशों के साथ रिश्तों को संतुलित करना चाहती है।
यूएस पैसिफिक कमान, पीएसीओएम के एडमिरल रॉबर्ट विलार्ड ने कांग्रेस की एक बहस में कहा ‘भारत के साथ संबंध उत्तरोत्तर मजबूत हो रहे हैं लेकिन इनमें चुनौतियां भी कम नहीं हैं। दोनों देशों के बीच जुड़ाव का लंबा इतिहास नहीं रहा है। हम शीत युद्ध के दौर से भी गुजरे हैं जब हमारे बीच रिश्ते नहीं थे। फिर 1990 के दशक में परमाणु परीक्षण के बाद हमारी सरकार के उनकी सरकार के साथ रिश्तों पर विराम लग गया। इस प्रकार भारत के साथ हमारा संबंध बीते दशक में ही पनपा हैं।’
विलार्ड ने कहा कि जहां तक सेना की बात है तो भारत के साथ सभी क्षेत्रों में काम कर रहे है। ‘एशिया प्रशांत क्षेत्र में हमारे पास यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुरक्षा सहायता कार्यक्रमों में से एक है।’
यूएस पैसिफिक कमान के एडमिरल रॉबर्ट विलार्ड ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में अमेरिका और भारत ने खासी प्रगति की है। उन्होंने कहा ‘इसी दौरान, दोनों देश जिसे रणनीतिक स्वायत्तता कहते हैं, उस पर वह गर्व भी कर सकते हैं। यह एक तरह का निगरुट दर्शन है। इसके फलस्वरूप, भारत अन्य देशों के साथ अपने रिश्ते संतुलित करना चाह रहा है जो हमारे लिए चुनौती है।’
विलार्ड ने अमेरिका-भारत संबंधों में चुनौतियों का कारण बताते हुए कहा ‘भारत और पाकिस्तान के बीच जो ऐतिहासिक वैरभाव है उसके परिणामस्वरूप हमारे पाकिस्तान के साथ संबंधों मे भी चुनौती है। और दुनिया के सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण भाग में भारत है, उसके समीप अफगानिस्तान है, पाकिस्तान उसका पड़ोसी है, कश्मीर मुद्दा भी है जो लंबे समय से चला आ रहा है और साथ ही भारत . चीन के बीच सीमा विवाद भी है।’
विलार्ड ने कहा ‘इस प्रकार, इस भूभाग में कई मुद्दे हैं। हम भारत के साथ लगातार बने रहना चाहते हैं और अपने संबंधों को भी सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।’ लिखित बयान में उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सुरक्षा हितों के मद्देनजर अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी अमेरिकी रक्षा विभाग और यूएसपीएसीओएम की प्राथमिकता है। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 2, 2012, 13:13