Last Updated: Thursday, September 20, 2012, 18:55

लंदन : भारतीय मूल के मशहूर लेखक सलमान रूश्दी ने अपनी नई पुस्तक में महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल का एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म के संदर्भ उल्लेख करते हुए उन्हें ‘चलता-फिरता सियासी कार्टून’ करार दिया है। दरअसल, 1987 में आजादी के 40 साल पूरे होने के मौके पर रूश्दी चैनल-4 की ओर से ‘द रिडल ऑफ मिडनाइट’ नामक डाक्यूमेंटरी के निर्माण के लिए मुंबई आए थे और उसी समय मुंबई के महापौर भुजबल का उन्होंने साक्षात्कार किया था। उस वक्त भुजबल शिवसेना में थे।
अपनी नई जीवनी ‘जोसेफ एंटन’ में रूश्दी ने इसी डाक्यूमेंटरी और भुजबल, इमाम बुखारी और कुछ अन्य बातों का उल्लेख किया है। उनकी यह पुस्तक इसी सप्ताह बाजार में आई है। डाक्यूमेंटरी के निर्माण के समय रूश्दी भी 40 साल के थे। इसमें रूश्दी लिखते हैं, ‘वहां पूरी तरह ब्लैक कॉमेडी थी। छगन भुजमल एकमात्र ऐसे नेता थे जिनका साक्षात्कार किया गया। वह बाल ठाकरे की शिवसेना की ओर से मुंबई के पहले महापौर थे।’
रूश्दी ने कहा, ‘छगन भुजबल एक चलता-फिरता राजनीतिक कार्टून थे। वह टीवी क्रू को सालाना गणेश महोत्सव को दिखाने और शूट कराने के लिए अपने साथ पास ले गए। उन्होंने यह दिखाया कि इस पर्व को सभी पृष्ठभूमि और धर्मों के लोग मनाते हैं।’ बकौल रूश्दी भुजबल ने उनसे कहा, ‘आप हमें फासीवादी कह सकते हैं, हम फासीवादी हैं। आप हमें नस्ली कह सकते हैं। हम नस्ली हैं।’ रूश्दी और उनके साथी ने उस वक्त दिल्ली, केरल, जम्मू-कश्मीर और मुंबई का दौरा किया था।
इस पुस्तक के अनुसार दिल्ली में रूश्दी ने जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी से मुलाकात की।
रूश्दी का कहना है कि बुखारी उनसे मिलने के लिए सिर्फ इसी बात से सहमत हुए कि उनका नाम मुस्लिम है। रूश्दी लिखते हैं, ‘खुमेनी के फतवे के बाद बुखारी ने भी ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के लेखक को खारिज कर दिया, हालांकि वह इस बात को भूल गए कि वह जामा मस्जिद में उसी लेखक से मिले थे। कुल मिलाकर हम दोनों की मुलाकात सौहार्दपूर्ण रही थी।’
भारतीय मूल के लेखक रूश्दी ने कहा, ‘बुखारी से एक गलती हो गई। उन्हें लेखक का नाम याद नहीं आया और उन्होंने कह दिया कि वह सलमान खुर्शीद को खारिज करते हैं। सलमान खुर्शीद एक प्रमुख मुस्लिम नेता हैं। यह दोनों इमाम और सलमान (खुर्शीद) के लिए शर्मिंदगी वाला समय था।’ रूश्दी ने 1984 के सिख विरोधी दंगे की पीड़ित एक महिला के साक्षात्कार को याद किया है। उस महिला ने कहा था कि वह बदला नहीं, इंसाफ चाहती है। लेखक का कहना है कि इस महिला का साक्षात्कार करने से भारतीय अधिकारियों ने उन्हें रोका था, लेकिन वह आडियो टेप के जरिए उसकी बात रिकॉर्ड करने में सफल रहे। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 20, 2012, 18:55