जरदारी मामला : पत्र के मसौदे पर सरकार को मिला और वक्त

जरदारी मामला : पत्र के मसौदे पर सरकार को मिला और वक्त

जरदारी मामला : पत्र के मसौदे पर सरकार को मिला और वक्त इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को खोलने के मकसद से स्विस सरकार को भेजे जाने वाले पत्र के मसौदे में संशोधन के लिए पाकिस्तानी सरकार को 10 अक्तूबर तक का वक्त दे दिया है।

कानून मंत्री फारूक नाइक ने न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय पीठ के सामने संशोधित मसौदा पेश किया। इस पर न्यायाधीशों ने यह कहते हुए पत्र के कुछ अंश को लेकर आपत्ति जताई कि यह 2009 के उस आदेश के साथ मेल नहीं खाता जिसमें जरदारी के खिलाफ मामलों की समीक्षा करने की बात की गई थी।

इसके बाद न्यायाधीश विचार-विमर्श करने के लिए दो बार अपने चैम्बर में गए। बातचीत के लिए नाइक और सरकार के एक वकील को भी चैम्बर में बुलाया गया।

न्यायाधीश जब अदालत कक्ष में पहुंचे तो कानून मंत्री ने 10 अक्तूबर तक का वक्त मांगा ताकि वह पत्र के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श कर सकें।

इस पर पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने एक आदेश लिखना शुरू किया कि पत्र के मसौदे में सुधार के लिए सरकार 10 अक्तूबर तक का वक्त चाहती है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के इस कदम पर कानून मंत्री नाइक ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई वादा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ इस पर विचार-विमर्श करने के लिए अधिक समय की मांग की गई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को 10 अक्तूबर तक स्थगित कर दिया और कानून मंत्री से कहा कि अगली सुनवाई पर पत्र का मसौदा पेश किया जाए।

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच पत्र के मसौदे को लेकर कई बार मतभेद सामने आए हैं। इसी सवाल पर दोनों अलग नजर आते हैं कि क्या स्विस सरकार से जरदारी के खिलाफ मामले की समीक्षा के लिए स्पष्ट तौर पर कहना चाहिए।

जरदारी के खिलाफ मामलों को खोलने के आदेश पर कदम नहीं उठाने को लेकर अदालती अवमानना के आरोपी बनाए गए प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश होकर कहा था कि उनकी सरकार स्विट्जरलैंड को पत्र भेजेगी।

अशरफ ने कहा था कि यह फैसला स्विस सरकार को करना है कि जरदारी के खिलाफ मामलों की समीक्षा होनी चाहिए अथवा नहीं।

हालिया खबरों में कहा गया था कि न्यायाधीश पत्र में इस बात का आग्रह विशेष तौर पर करने को जोर दे रहे हैं कि राष्ट्रपति के खिलाफ मामलों की समीक्षा की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट से बाहर आने पर शुक्रवार को कानून मंत्री नाइक ने कहा कि संविधान देश के राष्ट्रपति को पूरी छूट (इम्युनिटी) देता है।

उन्होंने कहा, संविधान छूट के मामले में बहुत स्पष्ट है। अनुच्छेद 248 (2) के तहत राष्ट्रपति सरकार का प्रमुख है और उसे पद पर रहते हुए किसी आपराधिक मामले से पूरी तरह छूट हासिल है।

नाइक ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकृत संशोधित मसौदा अदालत के समक्ष पेश किया था। कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस मामले पर अदालत के समक्ष कोई वादा नहीं किया है। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 5, 2012, 15:45

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