जरदारी मामले में कोर्ट को सौंपा पत्र का मसौदा

जरदारी मामले में कोर्ट को सौंपा पत्र का मसौदा


इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दोबारा खोलने के लिए स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को भेजे जाने वाले पत्र का संशोधित मसौदा बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में सौंपा। जियो न्यूज के मुताबिक, कानून मंत्री फारूक एच. नाईक ने पत्र का संशोधित मसौदा न्यायालय को सौंपा। न्यायालय ने मंगलवार को पत्र में संशोधन के लिए सरकार को एक दिन का समय दिया था।

न्यायालय की पाठ सदस्यीय पीठ राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) लागू करने को लेकर सुनवाई कर रही थी। नईक ने बुधवार को पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश के कक्ष में करने की अपील की, जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा ने कहा कि हमारे लिए आपको कक्ष में सुनना और अर्ध विराम तथा पूर्ण विराम पर चर्चा करना सम्भव नहीं है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने 18 सितम्बर को न्यायालय में कहा था कि सरकार ने परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले बंद करने सम्बंधी भेजा गया पत्र वापस लेने का निर्णय किया है।

वर्ष 2007 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने जरदारी और उनकी पत्नी तथा पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें एनआरओ के तहत आम माफी दे दी थी।

इसके तहत राजनेताओं तथा नौकरशाहों को भ्रष्टाचार के मामलों में अभियुक्त बनाने से छूट दी गई। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में इस अध्यादेश को निरस्त कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने इस साल जनवरी में तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए कहा था।
उन्होंने हालांकि ऐसा नहीं किया। न्यायालय ने 26 अप्रैल को उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया। 19 जून को उन्हें संसद की सदस्यता तथा प्रधानमंत्री पद के अयोग्य ठहरा दिया गया। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 26, 2012, 15:41

comments powered by Disqus