Last Updated: Friday, November 4, 2011, 18:27
कान (फ्रांस) : जी-20 देशों के शीर्ष नेताओं ने कर चोरों की पनाहगाह माने जाने वाले देशों से कहा है कि वे मनी लांडरिंग और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन के प्रवाह को रोकने में सहयोग करे और इसके कर सबंधी सूचनाओं के आदान प्रदान के कारगर नियम लागू करें। समूह ने ऐसा न करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई की भी धमकी दी है। फ्रांस के तटवर्ती पर्यटन स्थल पर दो दिन तक चले जी-20 शिखर सम्मेलन का यह निर्णय भारत की मुहिम की बड़ी कामयाबी माना जा सकता है।
सम्मेलन की समाप्ति पर जारी घोषणा पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि जो देश या क्षेत्र कर धोखाधड़ी से जुड़ी सूचनाओं के मामले में पारदर्शिता और सहयोग नहीं करेंगे उनके खिलाफ कारवाई की जाएगी। घोषणा-पत्र में कहा गया है, ‘हम व्यापक कर सूचना के आदान-प्रदान और वैश्विक मंच पर इस संबंध में किए गए प्रोत्साहन कार्य की महत्ता को रेखांकित करते हैं और ग्लोबल फोरम (आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन) के तहत इस मामले में उपायों के सुधार को प्रोत्साहित करते हैं।’
घोषणा पत्र में राष्ट्रों का आह्वान किया गया है कि वे कर चोरी रोकने, आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लांडरिंग के खिलाफ कार्रवाई में अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करें। घोषणापत्र में देशों को एक तरह से चेतावनी देते हुए कहा गया है कि यदि उन्होंने पारदर्शिता के इन उपायों को लागू नहीं किया तो यह समूह इस मामले में अपने पास उपलब्ध जवाबी कार्रवाई करने में नहीं हिचकेगा।
जी-20 देशों के दो दिवसीय इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई विकसित और विकासशील देशों के राष्ट्रध्यक्षों ने भाग लिया।
प्रधानमत्री मनमोहन सिंह ने घोषणापत्र का स्वागत करते हुए कहा कि इसमें बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता बरतने और कर सूचनाओं के आदान-प्रदान के भारत के आह्वान पर अमल किया गया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इससे पहले कहा था कि कर अपवंचना और काली कमाई के प्रवाह से विकासशील देशों का कर आधार विदेशों की तरफ खिसकने लगा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘जी-20 देशों को इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए ठोस संदेश देने चाहिए।’ जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद जारी घोषणा पत्र में भारत की इस चिंता को मजबूत समर्थन देते हुए कहा गया, ‘कर मामलों में बहुपक्षीय साझा प्रशासनिक सहायता संधि पर हस्ताक्षर कर हमने जो प्रतिबद्धता व्यक्त की है हम उसका स्वागत करते हैं और दूसरे देशों और विशेष अधिकार वाले क्षेत्रों से भी इस संधि में शामिल होने की उम्मीद करते हैं।’
जी-20 देशों के नेताओं ने भ्रष्टाचार की बुराई से निपटने और स्वच्छ कारोबारी माहौल उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। घोषणापत्र में कहा गया, ‘हम इस मामले में मजबूत अंतरराष्ट्रीय विधायी रुपरेखा को अमल में लाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।’
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 4, 2011, 23:58