Last Updated: Saturday, September 7, 2013, 14:43
सेंट पीटर्सबर्ग : रूस में आठवें जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज स्वदेश के लिए रवाना हो गए। इस सम्मेलन के दौरान उन्होंने दुनियाभर के नेताओं से उभरते हुए बाजारों में मजबूत विकास को बहाल करने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता दिखाने को कहा। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मेजबान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित दुनियाभर के कई शीर्ष नेता यहां इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में शामिल हुए।
इस दौरान मनमोहन ने कहा कि बीते कुछ हफ्तों में मुद्रा अस्थिरता से भारत प्रभावित हुआ है और वह एक ऐसे वातावरण में चालू खाते के घाटे को वित्तपोषित करने का कदम उठा रहा है, जिसे स्थिर विदेशी निवेश प्रवाह के अनुकूल माना जाए। उन्होंने वर्तमान मुद्रा संकट से निपटने के लिए जी-20 समूह के भीतर व्यापक विचार विमर्श का भी आह्वान किया।
मनमोहन ने वर्ष 2008 में वाशिंगटन में हुए पहले जी-20 सम्मेलन से लेकर अब तक के इसके सभी सम्मेलनों में भाग लिया है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे कार्य सत्र के दौरान अपने हस्तक्षेप में प्रधानमंत्री ने रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विकासशील देशों में बुनियादी ढांचों के विकास के लिए उन्नत वित्तपोषण योजनाएं तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने पेशेवरों के अंतरराष्ट्रीय आवागमन को सीमित करने के नए उपायों से बचने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि यह आने वाले वर्षों में वैश्विक विकास का दम घोंट देगा।
प्रधानमंत्री ने इस सम्मेलन से इतर जापान के उप प्रधानमंत्री तारो असो से भी मुलाकात की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय का विस्तार करने का फैसला किया। मनमोहन सिंह ने सीरिया या दुनिया के किसी भी हिस्से में रासायनिक हथियारों के उपयोग की निंदा की, लेकिन उन्होंने इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की अनुमति के बिना सीरिया के खिलाफ एकतरफा सैन्य कार्रवाई का विरोध भी किया। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 7, 2013, 14:43