Last Updated: Tuesday, July 31, 2012, 16:44
लंदन : मौत को सामने देखकर बेशक हर कोई सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए भागता है लेकिन टाइटैनिक जहाज के डूबने के दौरान औरतों और बच्चों को ही पहले उतारा गया था। जहाज डूबने की कई घटनाओं के अध्ययन में यह सामने आया है कि टाइटैनिक जहाज पर अपनाया गई यह नीति बाकी घटनाओं की तुलना में एक अपवाद थी।
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, उप्पसला विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 1850 के बाद से डूबने वाली कुल 16 घटनाओं का अध्ययन किया, जिनमें कुल 15 हजार यात्री और चालक दल के लोग शामिल थे।
अध्ययन में पाया गया कि औरतों और बच्चों को पहले उतारने की नीति के तहत इन लोगों के 70 प्रतिशत समूहों को बचा लिया गया था जबकि पुरूषों के सिर्फ 20 प्रतिशत समूह ही बचाए जा सके थे। टाइटैनिक पर अपनाई गई इस नीति को स्वीडिश अध्ययनकर्ताओं ने अपवाद माना है क्योंकि बाकी घटनाओं में ब्रिटिश जहाजों पर तैनात पुरूष जीवन रक्षक नौकाओं के आने पर सबसे पहले उनपर झपटे थे।
शोधकर्ता कहते हैं, ‘यह पुरूषों की नैतिक भावनाओं के बजाय जहाज कैप्टन की नीति ज्यादा प्रतीत होती है, जिसने महिलाओं को प्राथमिकता देने का फैसला किया। उन्होंने कहा, कैप्टन का आदेश था कि पहले औरतों और बच्चों को उतारा जाए और अधिकारियों ने उन आदमियों को गोली भी मार दी थी जिन्होंने इस आदेश की अवहेलना की थी।’ इस अध्ययन में यह भी सामने आया है कि ऐसे हादसों में पुरूषों के बच जाने की संभावना ज्यादा होती है। संभव है यह बात टाइटैनिक के कैप्टन के दिमाग में रही हो।
हालांकि पिछले कुछ सालों में महिलाओं के बच जाने की संभावना में वृद्धि हुई है। इसकी वजह संभवत: नारीवाद को प्रोत्साहन और चुस्त कपड़े पहना जाना है।
फिर भी इस अध्ययन का पूरा समावेश यही है कि मौत को सामने देखकर कोई किसी के बारे में सोचने के बजाय आमतौर पर सिर्फ अपनी जान बचाने की ही सोचता है। लेकिन टाइटैनिक के मामले में कैप्टन की नीति ने इस सोच को हावी नहीं होने दिया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 31, 2012, 16:44