Last Updated: Saturday, May 11, 2013, 08:56
ज़ी मीडिया ब्यूरोइस्लामाबाद: तालिबान की धमकियों और भारी हिंसा के बीच पाकिस्तान में आज आम चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। राष्ट्रीय असेंबली के साथ-साथ चार प्रांतीय असेंबलियों के लिए भी आज ही मतदान होगा। यहां 66 साल में पहली बार किसी लोकतांत्रिक सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया और दूसरे कार्यकाल के लिए मतदान हो रहा है। एक तरफ देखा जाय तो पाकिस्तान में लोकतंत्र की जीत है लेकिन जनता नेताओं से निराश है फिर भी मतदाता लोकतंत्र को बचाने के लिए उत्साहित दिख रहे हैं।
पाक चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग और क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला है। इस सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मतपेटी में बंद हो जाएगा। चुनाव विश्लेषकों के अनुसार किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना बेहद कम है। लिहाजा गठबंधन सरकार बनेगी। इसमें नवाज शरीफ और इमरान खान की अहम भूमिका हो सकती है।
पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल एसेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं, लेकिन यहां के संविधान के मुताबिक 272 सीटों पर ही प्रत्यक्ष चुनाव होता है और 60 सीटें महिलाओं तथा 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित होती हैं। विभिन्न दलों को प्रत्यक्ष चुनाव से मिली सीटों के अनुपात में ही विभिन्न दलों को ये आरक्षित 70 सीटें आवंटित कर दी जाती हैं। सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन को कम से कम 172 सीटें हासिल करना जरूरी है।
इस बार के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने की संभावना है। ऐसी स्थिति में अगर शरीफ धार्मिक, राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी दलों को साथ लाने में कामयाब होते हैं, तो वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और भुट्टो परिवार की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) तथा क्रिकेट के मैदान से सियासत में आये इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ भी इस चुनाव में पूरी ताकत लगा रही है। हाल ही चुनाव सभा के दौरान गिरने से घायल हुए इमरान ने अस्पताल से लोगों को उनकी पार्टी के लिए मतदान करने की अपील की है।
इन प्रमुख दलों के अलावा पीएमएल-क्यू, जमात-ए-इस्लामी और अवामी नेशनल पार्टी सरीखे दल भी अपनी ताकत को मजबूत करने के प्रयास में हैं।
इस बार नेशनल एसेंबली के लिए 4,670 उम्मीदवार मैदान में हैं तो चार प्रांतों की एसेंबलियों के चुनाव में करीब 11,000 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक भी चुनावी सभा को संबोधित नहीं किया। वह सिर्फ वीडियो संदेश के जरिए प्रचार कर रहे थे।
पाकिस्तान में पिछला आम चुनाव 18 फरवरी, 2008 को हुआ था। उस समय पीपीपी को 35.3 फीसदी मत के साथ 121 सीटें मिली थीं। दिसंबर, 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद सहानुभूति के माहौल में पार्टी ने जीत दर्ज की थी और उसके नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी। पिछली बार पीएमएल-एन को 91 सीटें और 26.6 फीसदी मत मिले थे। इमरान की पार्टी ने पिछले चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था।
इस बार भ्रष्टाचार, आतंकवाद और जातीय हिंसा कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो पीपीपी की राह में रोड़ा बन सकते हैं। वैसे इस बार के चुनावों से कश्मीर मुद्दा नदारद है।
इन चुनावों में इमरान खान की पार्टी भी लोगों के बीच खासी लोकप्रिय नजर आ रही है और माना जा रहा है कि वह पीपीपी और पीएमएल-एन को कड़ी टक्कर देगी। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी तहरीक-ए-इंसाफ की ताकत में बेतहाशा बढ़ोतरी बताई जा रही है।
भुट्टो परिवार के नेतृत्व में पीपीपी का सबसे अधिक जनाधार सिंध प्रांत में हैं तो नवाज शरीफ की पीएमएल-एन पंजाब प्रांत में अधिक मजबूत है। इमरान खान की पार्टी ने पंजाब और खबर पख्तूनख्वाह में बड़ी तेजी से अपना आधार बनाया है। पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गयी है और ऐसे में उनकी पार्टी आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
नेशनल एसेंबली की सबसे अधिक सीटें पंजाब प्रांत में हैं। पंजाब में 183 सीटें हैं जिनमें से 148 पर प्रत्यक्ष चुनाव होता है और 35 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। सिंध प्रांत में 75 सीटें हैं जिनमें से 61 पर प्रत्यक्ष चुनाव होता है और 14 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
खबर पख्तूनख्वाह में नेशनल एसेंबली की 43 सीटें हैं। इनमें से 35 पर प्रत्यक्ष चुनाव होता है और आठ सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। बलूचिस्तान में कुल 17 सीटें हैं जिनमें से 14 पर प्रत्यक्ष चुनाव होता है और तीन सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।फाटा में 12 और संघीय राजधानी में दो सदस्य नेशनल एसेंबली के लिए चुने जाते हैं। पूरे देश में 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं।
11 मई को मतदान खत्म होने के बाद ही मतगणना शुरू हो जाएगी और सभी नतीजे आने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग जाएगा।
First Published: Saturday, May 11, 2013, 08:51