Last Updated: Wednesday, October 10, 2012, 13:00

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में तालिबान की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाली एक 14 वर्षीय लड़की को मंगलवार को तालिबान के आतंकियों ने सिर में गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।
पाकिस्तान में पहला ‘युवाओं के लिए राष्ट्रीय शांति पुरस्कार’ हासिल करने वाली मलाला युसुफजई पर हमला इस्लामाबाद से 160 किमी दूर स्वात में किया गया, जो कभी तालिबान का गढ़ हुआ करता था।
कार में सवार आतंकवादियों ने बस में बैठी लड़की को गोली मार दी। एक गोली लड़की के सिर में लगी। समाचार चैनलों की खबर में कहा गया है कि मलाला को सैदू शरीफ शहर के अस्पताल ले जाया गया जहां से उसे हवाई मार्ग से पेशावर स्थित सैन्य अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकों ने बताया कि उसे सघन जांच कक्ष में रखा गया है और सिर में सूजन के कारण तुरंत शल्य चिकित्सा संभव नहीं है। सूत्रों ने बताया कि गोली सिर को भेद कर उसकी रीढ़ की हड्डी के करीब पहुंच गई है। जिस समय हमला हुआ उस समय लड़कियां सरकारी कर्मचारियों के विरोध के चलते समय से पहले स्कूल बंद होने के कारण बाहर निकल रही थी।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रवक्ता एहसानुल्ला एहसन ने पत्रकारों को फोन कर मलाला पर किए गए हमले की जिम्मेदार ली। ‘दी एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने उसके हवाले से बताया कि मलाला को उसके ‘पश्चिमी’ विचारों और तालिबान के खिलाफ ‘नकारात्मक प्रोपगेंडा’ के कारण निशाना बनाया गया।
स्वात में 2008 में कब्जे के दौरान तालिबान ने लड़कियों के पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब युसुफजई ने ‘गुल मकई’ के छद्म नाम से बीबीसी उर्दू के लिए ब्लॉगिंग में अपनी पीड़ा और नाराजगी जाहिर की। साथ ही उसने और लड़कियों को उग्रवादियों के खतरे के बावजूद पढ़ाई जारी रखने को कहा। वर्ष 2009 में सेना ने तालिबान का स्वात से सफाया कर दिया था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 10, 2012, 09:40