Last Updated: Friday, December 30, 2011, 07:56
इस्लामाबाद : आईएसआई अधिकारियों ने पाकिस्तान के एक संसदीय दल को बताया है कि तालिबान के साथ इस्लामाबाद की शांति वार्ता में कुछ बड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। यह खुलासा शुक्रवार को एक खबर में किया गया। आईएसआई अधिकारियों ने कल रक्षा व रक्षा उत्पादों पर सीनेट की स्थाई समिति के लिए बंद दरवाजे में तीन घंटे की ‘ब्रीफिंग’ में यह खुलासा किया।
इस दौरान आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा और उनके सहायकों ने सांसदों को जानकारी दी। अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से कहा कि पाशा व उनके सहायकों ने इस बात की पुष्टि की है कि तालिबान, मुख्य रूप से उसकी धरती पर पैदा हुए आतंकियों के साथ बातचीत अग्रिम स्तर पर है और अगले कुछ महीनों में कुछ बड़ी कामयाबी मिलने की उम्मीद है।
एक सांसद के हवाले से बताया गया है कि आईएसआई अधिकारियों को भरोसा है कि इस बाबत कुछ बड़े चौंकाने वाले खुलासे सामने आएंगे। आईएसआई अधिकारियों के अनुसार अफगानिस्तान में कुल मिलाकर हालात बहुत तेजी से बदल रहे हैं।
पिछले कुछ सप्ताह में प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और गृह मंत्री रहमान मलिक जैसे वरिष्ठ नेताओं ने इस बात से इनकार किया है कि पाकिस्तान तालिबान से बातचीत हो रही है। खबर के अनुसार सांसदों को ब्रीफिंग में आतंकवाद के खिलाफ जंग में आईएसआई की भूमिका पर ध्यान दिया गया। आईएसआई की भूमिका के बारे में सीनेट की समिति के करीब पांच सदस्यों को जानकारी दी गई, जिसका नेतृत्व पूर्व आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जावेद अशरफ काजी ने किया।
समिति के दो प्रमुख सदस्यों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के रजा रब्बानी और जमात-ए-इस्लामी के खुर्शीद आलम ने ब्रीफिंग का बहिष्कार किया और कहा कि आईएसआई के अधिकारियों को संसद आना चाहिए। समिति के दो सदस्य देश से बाहर थे वहीं एक खराब सेहत के कारण नहीं आ सके।
खबर के अनुसार देश के राजनीतिक मामलों को लेकर आईएसआई की कार्ययोजना के बारे में कुछ सांसदों के सवाल थे लेकिन पाशा ने उन्हें टालने की कोशिश की। एक आईएसआई अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि एजेंसी का राजनीतिक मामलों में कोई हस्तक्षेप है। एक अन्य सांसद ने बताया कि पाशा ने एजेंसी की संलिप्तता कबूली लेकिन कहा कि आईएसआई वही करती है जो सरकार उसे कहे, इसमें चाहे असैन्य काम हो या फिर सैन्य।
देश में ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी को लेकर पूछे गए सवाल पर एक सीनेटर ने कहा कि आईएसआई को लगता है कि पूरा घटनाक्रम महज एजेंसी की नाकामी नहीं था बल्कि सीआईए व अन्य सहयोगी देशों की जासूसी एजेंसियों की ओर से भी भूल की गई थी।
सांसदों ने कहा कि बिन लादेन की मौत के बाद पाकिस्तान में कथित तौर पर सेना के कब्जे को रोकने के लिए अमेरिका की मदद मांगे जाने की खबरों पर कोई चर्चा नहीं हुई।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 30, 2011, 13:26