Last Updated: Wednesday, October 10, 2012, 16:33

इस्लामाबाद: चिकित्सकों के एक समूह ने तीन घंटे की सर्जरी के बाद 14 वर्षीय पाकिस्तानी लड़की मलाला यूसुफजई के रीढ़ की हड्डी के पास लगी गोली को सफलतापूर्वक निकाल लिया है । तालिबान के अत्याचारों के खिलाफ खुलेआम बोलने के विरोध में प्रतिबंधित संगठन ने उसे गोली मार दी थी ।
अधिकारियों ने कहा कि पेशावर के लेडी रीडिंग अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख मुमताज खान के नेतृत्व में चिकित्सकों के दल ने सेना अस्पताल में सुबह दो बजे से पांच बजे तक सर्जरी की । खान ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें मलाला के स्वस्थ होने की उम्मीद है ।
मलाला के सिर में सूजन को कम करने के लिए भी चिकित्सकों ने उपचार किया । भले ही गोली निकाल ली गई लेकिन सर्जरी के दौरान काफी खून बहा और मलाला की स्थिति अब भी पूरी तरह ठीक नहीं है ।
मलाला के चाचा अहमद शाह ने पेशावर में संवाददाताओं से कहा कि कल देर रात सेना के अस्पताल में सर्जरी हुई और गोली को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है ।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों ने मलाला को उपचार के लिए पाकिस्तान के बाहर नहीं ले जाने की सलाह दी है । चिकित्सकों ने कहा कि इस स्थिति में यात्रा करना उसके लिए ठीक नहीं है । उसे पाकिस्तान का पहला राष्ट्रीय शांति युवा पुरस्कार हासिल हुआ था । चिकित्सकों ने कहा कि अगले दस दिन उसके लिए काफी महत्वपूर्ण हैं ।
खबर पख्तूनख्वा सरकार के अधिकारियों ने भी कहा कि तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद गोली को निकाला गया ।
रावलपिंडी अैर इस्लामाबाद के शीर्ष सर्जनों के एक दल ने पेशावर में बैठक कर मलाला के उपचार पर निर्णय किया । किशोरी फिलहाल पेशावर के सेना अस्पताल में गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती है । अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी इंटरनेशनल एयरलाइंस ने पेशावर में एक एयर एंबुलेंस तैयार रखा था ताकि जरूरत पड़ने पर मलाला को दुबई ले जाया जा सके ।
मलाला को कल तालिबानी आतंकवादियों ने मिंगोरा में स्कूल बस के अंदर दो गोलियां मारी थीं । मिंगोरा इस्लामाबाद से 160 किलोमीटर दूर स्वात घाटी में है ।
एक गोली उसके सिर में लगी और नीचे की तरफ जाकर उसकी रीढ़ की हड्डी के पास अटक गई ।
तहरीक ए तालिबान के प्रवक्ता इहसानुल्ला एहसान ने पत्रकारों को फोन कर हमले की जिम्मेदारी ली ।
उन्होंने कहा कि मलाला को ‘‘पश्चिम समर्थक’’ विचारों और तालिबान के खिलाफ ‘‘नकारात्मक प्रचार’’ करने के कारण निशाना बनाया गया ।
एहसान ने कहा कि तालिबान का विरोध करने के कारण लड़की को नहीं बख्शा जाएगा और अगर वह बच जाती है तो फिर निशाना बनाया जाएगा ।
मलाला ने तालिबान के अत्याचारों के खिलाफ बीबीसी उर्दू के लिए छद्म नाम गुल मकई के नाम से ब्लॉग लिखा जिसके बाद तालिबान के पूर्व गढ़ स्वात में वह शांति के चैंपियन के रूप में उभरी । (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 10, 2012, 16:04