Last Updated: Friday, August 17, 2012, 21:06
जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीकी पुलिस अधिकारियों ने लॉनमिन पीएलसी प्लैटिनम खदान पर हड़ताल कर रहे कम से कम 36 खनिकों को गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया है जिसके बाद समूचा देश स्तब्ध है।
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद काल की समाप्ति के बाद गुरुवार की यह घटना अब तक की सबसे दिल दहला देने वाली है। पुलिसकर्मी बुलेटप्रूफ लिबास पहने थे। कुछ घोड़े पर सवार थे। उन्होंने श्रमिकों की भीड़ पर गोलियां चलाई।
मारिकाना की लोनमिन प्लैटिम खदान के खनिक अपने वेतन में तीन गुना इजाफा की मांग कर रहे थे। उन्होंने काम पर लौटने के अपने ट्रेडयूनियन का आदेश मानने से इनकार कर दिया था।
पुलिस का कहना है कि उसने प्रदर्शन कर रहे मजदूरों को तितर-बितर करने के कई असफल प्रयास किए। उनका कहना है कि उन्होंने प्रदर्शनकारी मजदूरों पर पानी की बौछार की, आंसूगैस के गोले दागे और स्टन ग्रेनेड भी दागे।
वरिष्ठ पुलिस कर्मियों का कहना है कि उन्होंने आत्मरक्षा में यह कदम उठाया। वे इसके लिए तस्वीर दिखा रहे हैं।
समाज के सभी तबकों ने इस घटना की जोरदार निंदा की है। सभी राजनीतिक पार्टियों और सभी धार्मिक नेताओं ने इसकी निंदा की है।
राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा, हिंसा से मैं क्षुब्ध हूं।
इस स्तब्धकारी घटना ने जुमा को क्षेत्रीय नेताओं की शिखर वार्ता में शामिल होने गए पड़ोसी मोजम्बिक की अपनी यात्रा बीच में ही खत्म कर दी। वह नॉर्थ वेस्ट प्रांत जाने वाले हैं जहां हिंसा का शिकार बनी यह खदान स्थित है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि वे हालात को काबू में लाने और हिंसा के पीछे के लोगों को कानून के कठघरे में लाने के लिए सभी संभव कोशिश करें।
इस बीच, हिंसा की शिकार हुई खदान के इलाके में दहशत भरी शांति पसरी है। सड़कें वीरान हैं और मृतकों के प्रियजन शवों की शिनाख्त के लिए मुर्दाघर जा रहे हैं।
उधर, राजनीतिक संगठन द अजानियन पीपुल्स आर्गनाइजेशन ने मारिकाना की हिंसा की तुलना शार्पेविले और स्वोटो की गोलीबारी से की है। ये दोनों घटनाएं रंगभेद काल की हैं।
पुलिस ने अल्पसंख्यक श्वेत रंगभेदी सरकार के निर्देश पर निर्दोष प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थी जिसमें नन्हें स्कूली बच्चों समेत अनेक लोग मारे गए थे। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 17, 2012, 21:06